ईश्वरे प्रेमनुं सर्जन कर्युं हशे त्यारे सौथी प्रथम माता बनाववानुं विचार्युं हशे ! अनन्वय अलंकारमां कहीए तो… वात्सल्यनी मूर्ति एटले मा, मा एटले वात्सल्यनी मूर्ति . एना जेवी व्यकित आ जगतमां कयांय मळे एम नथी ! मातानो जोटो जडवो. बाळकने जन्म आपनार अने एनुं लालनपालन करी जीवननुं सुयोग्य घडतर करनार मातानी मूल्यवान सेवानो बदलो कोनाथी वाळी शकाय एम छे ? बाळक उदरमां होय त्यारथी मांडीने ए मोटुं ने समजणुं थाय त्यां सुधीमां, अनेक कष्टो वेठनार अने पोताना शरीर-सुखना भोगे पोताना बाळकनी मावजत करनार माताने जो ईश्वरे पेदा ज ना करी होय तो आपणुं शुं थात ? कोणे लालन पालन कर्यु होत, कोणे आपणने संस्कार आप्या होत. कोणे आटलो प्रेम लूटाव्यो होत.. मातानु महत्व तो तमे एकवार जईने अनाथाश्रममां रहेता बाळकोने जोईने के तेमनी साथे वातचीत करीने जोशो तो समजाशे. मुशकेल छे. खुद ईश्वर पण एनी जोडे बेसी शके तेवो नथी ! साचे ज, जगतमां सौ सगा स्नेहीजनो वच्चे मातानी त्यागनीमूर्ति, बलिदाननीमूर्ति,सौजन्यनीमूर्ति अने प्रेम/त्यागनीमूर्ति पूनमना चांद जेवी झळहळे छे. ? जगतमां सर्वप्रथम अने बाळकना मुखमांथी निकळतो प्रथम जो शब्द होय तो ते ‘मा’ ‘मम्मा’छे.
कविओए मातृप्रेमनो महिमा मुकतकंठे गायो अने बिरदाव्यो छे. कवि बोटादकरे पोतानी कवितामां कह्युं छे के, “जननीनी जोड सखी नहि जडे रे लोल ! माता ए माता ज छे. पचेहे ए आठ बाळकोनी माता होय के एकना एक संताननी ! माताने मन एनु प्रत्येक बाळक काळजानो कटको छे. माता गरीब घरनी होय के श्रीमंत घरनी.. एना वात्य्सलयनु झरणुं तो अखूटपणे वह्या ज करे छे. वळी बाळक ह्रष्टपुष्ट अने देखावडु ज होय ए काई जरूरी नथी. माताने मन तो एनु लुलु लंगडु के बहेरु बोबडु बाळक अप्ज गुलाबना खीलेला गोटा जेवु ज होय छे. माताने घडीने ईश्वरे हाथ धोई नाख्या छे एम कहीए तो जराय खोटु नथी.
बाळक मांदु पडे. निशाळेथी आवता थोडु मोडु थाय के कोई चीज मेळववा माटे धमपछाडा करे त्यारे माता लाख काम पडता मुकीने केवी बेबाकळी अने चिंतातुर बनी जती होय छे ! बाळकना सुखे सुखी अने बाळकना दुखे दु:खी थनारी, रात दिवस तेना हितनी प्रार्थना करनारी माता जेवी त्यागमूर्ति जगतमां बीजी कोई छे खरी ? जीवन नैयानु सुकान माता छे. मा विनाना बालकोनी स्थिति अत्यंत दयाजनक अने अश्य होय छे. रेटियो कातती मा घोडे चडता बाप करता हजार दरज्जे सारी छे. जीवननु सबरस मा छे. एनो त्याग एनु वात्सल्य एनु माघुर्य ए तो संतानना जीवननी अणमोल अद्वितीय मुडी छे.
आखा जगतनो आधार मातानी आगळी छे .एनी आंगळीमां अभय छे. सामे वाघ आवीने ऊभो होय पण दीकराए जो मानी आंगळी झाली हशे तो एने बीक नही लागे ! एनी आंगळी निर्भय छे. ‘मा’ शब्द ज ममताथी भरेलो छे. पशु होय के पक्षी होय मातानो प्रेम एना पोतानां बच्चां माटे अपार हशे, गाय पोताना वाछरडांने, कूतरी पोतानां गलूडियांने. चकली पोतानां बच्चांने,वादरी पोतानां बच्चाने प्रेमस्नेह करतां थाकती नथी. केवां साचवे छे,चाटे छे अने खवडावे छे. अबोला प्राणीमां जो आटली माया ने लागणी होय तो मानव-मातानी तो वाता ज शी करवी ?
जगतमां दरेक महान पुरुषोना जीवन घडतरमां तेमनी मातानो फाळो अनन्य अने अनमोल रह्यो छे. ते बाळकनी प्रेरणादात्रीनी छे. नेपोलियन जेवाने कहेवुं पडेलुं के, “ एकमाता ए सौ शिक्षकनी गरज सारे छे.” माता संतानना चारित्र्यनुं घडतर करे छे,ते थकी समाजनुं अने राष्ट्रनुं घडतर थाय छे. आ “मा ”बनवु पण सहेलु नथी कारणके नव मासना गर्भधान पछी आकरी प्रसूतिनी पीडा अने शिशुपालननी अढळक जवाबदारी ए अनेक बलिदान मांगी ले छे. अने आ बधु एक संपूर्ण निस्वार्थ भावनाथी मात्र पोताना देवना दीधेला माटे.....!!आटलु जतन करीने वखत आवे तो पेटे पाटा बांधीने पुत्रनु जतन करनार माताने घडपणमां जो पुत्र तरफथी प्रेमने बदले तिरस्कार, सहाराने बदले अपमान मळे अने मददने बदले कुवचनो सांभळवा मळे तो ए पुत्रने पुत्र कहेवो के पत्थर ? आटलु थवा छता माता कायम पोताना दीकराने आशीर्वाद ज आपती रहे छे. तेथी ज तो कहेवाय छे के "छोरुं कछोरुं थाय पण माता कुमाता न थाय.
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