Saturday, 29 April 2017

श्री मेलडी मातानी प्रागट्यनी कथा (उत्पति)

             श्री मेलडी मातानी प्रागट्यनी कथा (उत्पति) 





 
घणा वषोँ पहेलानी आ वात छे जयारे दानवो देवोनी अपार पूजा अने भकित तेमज तप करीने भगवान जोडे वरदान मेळवी शकितशाळी विघाओ प्राप्त करीने पोताने महान समजता अने राक्षसो बहु शकितशाळी बनी जता अने देवताओने परेशान करी मुकता तेवा समयमां देवताओने आघशकित माताना शरणमां आवीने तेमने विनंती करवी पडेली छे. आवा दुष्ट राक्षसोथी अमारी रक्षा करो. जगतमां तमारा जेवी आधशकित माता वगर अमारो कोई उध्धार करी शकवानु नथी. जगतमां तमाराथी कोई मोटु नथी. आम राक्षसोनो संहार करवा माटे आधशकित मां स्वंयम नवदुर्गाओ रूपे आ घरती लोकमां राक्षसोनो संहार पगट करवा बधी नवदुर्गा देवीओ भेगा मळीने देवताओना कहेवा मुजब  पृथ्वी लोकोना मनुष्यनो राक्षसोना त्रासथी रक्षा करवा लागया. जेमां एक राक्षस अमरैया दैत्यना त्रासथी छुटकारो अपाववा माटे जयारे नवदुर्गा आ दैत्यने मारवा माटे गया तयारे ए दैत्य घणो शक्तिशाळी हतो. तेणे नवदुर्गा साथे घणा वषोँ सुधी युध्ध कयुँ. छेवटे ते राक्षस थाकीने आ देवीओथी बचवा माटे भागवा मांडयो. भागता भागता तेणे पृथ्वीलोक पर सायला गामना सरोवरमां छुपाई गयो त्यारे नवदुर्गा बहेनोए सरोवरनु पाणी पीवा लाग्या त्यारे आ दैत्य सरोवर पासे एक मरी पडेली गायने जोई तेमा ते छुपाईने बेसी गयो त्यारे छेवटे नवदुर्गाए भेगा मळीने आ अमरैया दैत्यने मारवा माटे एक युकित विचारीने एक शक्तिरूपे देवीने प्रगट करवानुं विचायुँ. ते समये नवदुर्गा भेगा मळीने पोताना शरीरना अंगमांथी मेल उतारीने एक नानी पूतळी बनावीने तेमां प्रथम प्राण पुयाँ अने तेमने दरेक देवीओए पोतानी शक्ति प्रदान करीने तेमने शक्ति रूपे शस्त्र विधा आपीने आ अमरैया दैत्यने मारवा माटे आदेश आप्यो. आम, पूतळीए नवदुर्गाना कहेवा मुजब आ राक्षस जोडे युध्ध कयुँ. 





ते वखते तेओ १२ वर्षनी पूतळए अमरैया दैत्यने मारवा माटे नीचे उतर्या हता. ते एक गायना शबमां छुपाइने बेठो हतो त्यारे आ पूतळीए पोतानी शक्ति द्वारा दैत्यने बहार काढीने तेने मारी नाख्यो. त्यार पछी पाछा नवदुर्गा समक्ष आव्या त्यारे तेमने आ प्रभाव जाणवा मळ्यो के तेओ केटला शक्तिशाळी छे. आम, नवदुर्गाओ भेगा मळीने पोताना मेलमांथी पूतळी बनावी अने दरेके तेमनी शक्ति आपीने जे देवीने प्रागट्य कर्या छे अने तेमने पोते युध्ध करीने राक्षसने मारीने आव्या अने नवदुर्गाने पुछ्यु के हवे मारे कयु कार्य करवानु छे त्यारे आवा पापी राक्षसने मारीने आवेल देवीने जोइने तेमणे आ देवीनी अवगणना करीने तेमने दुर जता रहेवा जणाव्यु. ते सांभळीने माताजीने बहु खोटु लाग्यु. तेथी तेओ पोताने शुध्ध करवा स्वयंम् भगवान भोलेनाथनी पासे गया अने तेमणे भोलेनाथने विनंती करीने सघळी हकीकत जणावी के पोते एक राक्षसनो संहार करीने आव्या छे. 
जेथी तेमने पोताना शरीरने शुध्ध करवा माटे भोलेनाथने जणाव्यु एटले भोलेनाथे स्वयंम् पोतानी जटामांथी गंगाजीने प्रगट करीने सीधु माताजी ऊपर गंगाजीना शुध्ध जळनी धारा वहेवडावी माताजीने स्नान करावीने पवित्र करी दीधा. त्यारबाद हवे मारू नाम शुं राखवानु छे? त्यारे भोलेनाथे कहयुं के तमे नवदुर्गाने जइने पुछी आवो त्यारे माताजीए जणाव्यु के नवदुर्गाओए मने छोडी दीधी छे. हवे तेओ मने अदवानी ना पाडे छे तेथी मारे शुं करवु. जोइए. त्यारे भगवान भोलेनाथे तेने आर्शीवाद आपता जणाव्यु के तने पोताना नाम अने हक्क माटे नवदुर्गा जोडे युध्ध करचा आदेश कर्यो त्यारे त्रणेय देवताओ भेगा मळीने ब्रह्या, विष्णु अने महेश भगवाने तेमने पोताना शस्त्र रूपे ब्रह्याजीए पोतानी गदा आपी अने विष्णु भगवाने पोतानु चक्र आप्युं. त्यारबाद शंकर भगवाने पोतानु त्रिशुल आप्यु. आम त्रणेय देवोए आशीर्वाद आपीने माताजीने लडवा मोकल्या. तेओ नवदुर्गा जोडे लडीने पोताना नाम अने हक्क माटे स्वयंम लड्या अने तेओ विजयी बनी गया त्यारे तेमनी शक्तिओ सामे नवदुर्गाओने पण झुकवु पड्यु अने आम नवदुर्गानो पराजय थयो. आम माताजी पोताना नाम अने हक्क नाटे नवदुर्गा साथे युध्ध करीने जीती गया. तेथी तेमना पिताजी भोलेनाथे तेमने कह्यु के आजथी तमे तमारा माटे लड्या एटले तमारू नाम “श्री मेलडी माँ” राखवामां आवेल छे. 
“मे” “लडी” एटले के हुं पोताना माटे लडी, जेथी तेमनुं नाम “मेलडी माँ” राखवामां आव्युं छे.
जे पोताना नाम माटे नवदुर्गा जोडे लडी शके छे ते पोताना भक्तोने कोइ तकलीफ पडवा दे खरी? अने जो कोइ तकलीफ पडे तो ते लेखने मेख मारीने लडीने तेमने सहाय करे छे. आम, मेलदी माँ पोताना भक्तोने माडे लडीने तेमना दु:ख, दर्द, तकलीफ जे कोइ होय ते दुर करे छे. अने तेनु नाम “मेलडी”
आम, मेलडी माँ तो नानी बाळ स्वरूपे प्रगट्या छे अने तेओ तो फक्त १२ वर्षनी पूतळी रूपे अवतर्या छे. परंतु माँ मेलडीए विकराळ राक्षसोनो संहार करवा माटे तेमने विकराळ स्वरूपे पूज्या छे. तेओने देवताओमां त्रणे देवो ब्रह्याजी, विष्णु भगवान अने शंकर भगवान तेमना पिता गणाय छे. तेमनी माताओ पण त्रणेय देवीओ छे. सरस्वती माता, लक्ष्मीमाता अने पार्वतीमाता गणवामां आवे छे. आम, तेओ पोताना माता-पिताना आर्शीवाद द्वारा आ कळीयुगमां महाशक्ति आधशक्ति मेलडी माँ ना नामे ठेर-ठेर पूजाय छे. देवी कहेवाय छे. आम, कळियुगमां मेलडी मां नी उत्पति थइ जेथी “मेलडी मां” स्वयंम् भोलेनाथना पुत्री तरीके गणाय छे. तेमणे पोतानी जटामांयी तेमना जीवनमां उध्धार करी दीधो. तेमने आशिर्वद आपीने जणाव्युं के आ कळियुगमां उध्धार तमारी पूजा आखो संसार करशे. दरेक जातना‚ दरेक भातना लोको तमने पूजशे. तेमणे वाहन स्वरूपे “बोकडा” ने पसंद कर्यो. तेना पर सवार थइने तमे आखा जगतनो उध्धार करवा प्रगट थया छो. जेथी आखो संसार तमारो जय जयकार करशे. ठेर-ठेर तमारी डेरीओ, मंदिरो अने मोटा मोटा स्थानको बनशे. कळियुगमां तमे जागती ज्योत स्वरूपे पूजाता थशो. दरेक मानवी तमारी भक्ति करीने तमारा गुण-गान चारे कोर फेलावी तमने कळियुगना देवी तरीके पूजाता करशे. महाशक्ति मेलडी मां तरीके पूजाय छे. श्री मेलडी मां ए शंकर भगवाननी जटामांथी नीकळेली गंगाजीनी धाराथी स्नान करेलु तेथी “मेलडी मां” चोख्खा उगतानी मेलडी मां तरीके पूजाय छे. तेओ मेला देवी नथी. जेम तेमना भक्तो पूजे तेम पूजाय छे. आम, कळियुगमां उगतानी देवी तरीके पूजाता थया छे.

Thursday, 27 April 2017

गुजरातना खेडा ज्यां मां मेलडीना दरबारमां हाथोथी तळाय छे पूडी

गुजरातना खेडा ज्यां मां मेलडीना दरबारमां हाथोथी तळाय छे पूडी 

गरम-गरम तेलमां भक्त नाखे छे पूडी अने पछी तेने कोई कडछीथी नही पण काढे छे हाथ थी.

21 दिवसमां करे छे दरेक ईच्छा पूरी  ....





श्री मेलडी माडी वस्तुत: युद्धनी देवी छे. ज्यारे देव शक्तिया मायावी देत्योथी हारवा लागी किंकर्तव्यविमूढ थई गयी त्यारे एमनुं प्रागटय थयुं. तेणे पहेला दुष्ट देत्योथी युद्ध करी तेनुं संहार कर्युं . पछी कामरू जईने कामाख्यानी दुष्ट शक्तियोथी युद्ध कर्युं. तेणे पराजित कर्युं आथी तेणे युद्ध अने शस्त्र प्रिय छे क्यारे एणे क्रोध आवे छे तो एना दांत लोखंडनी जेम कठोर थई जाय छे. एना मेत्रोमांथी आग बरसे छे. एनुं वर्ण क्रोधावाशमां काळुं थई जाय छे. ते समते तेणे  शत्रु ना संहार सिवाय बीजुं कांई नही सूझाय छे. दुष्टो माटे आ कालरूपणी ज छे. 

श्री मेलडी माडी सौम्य रूपमां होय छे.त्यारे एनुं स्वभाव पांच वर्षनी कन्या जेवो होय छे. पांच वर्षनी कन्याने शुं जोईए ? तेनी ईच्छाना अनूकूळ तेमनी प्रिय वस्तुए तेने भेंट करता तो तेनी दरेक ईच्छाना अनूकूळ चालता रहो तो ते प्रसन्न थई जाय छे. ते ज रीते माडीने जे प्रिय छे तेनी ईच्छा मुजब आचरण अने तेमनी सेवा करता रहो तो प्रसन्न थई जाय छे. मां मेलडीने भाव प्रिय भावथी श्रद्धाथी मां कहीने तेमनी प्रार्थना करो तो तेमनी दरेक अमृतमयी कृपानो अनुभव जीवनने 
धन्य करे छे . तेणे कोई वस्तु आपवानो वादो करो तेणे पूरो करो. कारण के तमारुं वक हन एनुं अधिकार छे अने माता पोतानुं अधिकार मूकती नथी. आथी माडीना बनी जवुं वधारे श्रेयस्कर छे. आखा ब्रह्मांडमां मां मेलडी जेवी कोई दाता नही अने मां मेलडी जेवी कोई माता नही. 

Wednesday, 26 April 2017

खोडियार मंदिर - राजपरा (गुजरात)

           खोडियार मंदिर - राजपरा (गुजरात)



 खोडियार माताजीनुं राजपरा मंदिर भारत देशनां पश्चिमे आवेला गुजरात राज्यनां भावनगर जिल्ला नां सिहोर तालुकानां राजपरा (खोडियार) गामे आवेल छे. जे भावनगर थी १५ कि.मी. तथा सिहोर थी ४ कि.मी. नां अंतरे भावनगर-राजकोट हाइवे उपर आ खोडियार माताजीनुं मंदिर आवेलुं छे. आ मंदिरनी सामे ज पाणीनो धरो आवेलो छे. जे तांतणीया धरा तरीके प्रख्यात छे. जेथी आ मंदिर तांतणिया धरावाळा खोडियार अथवा राजपरावाळा खोडियार तरीके भारत भरमां प्रख्यात छे. आ मंदिर चोतरफ कुदरती सौंदर्य वच्चे धेरायेलुं रमणीय धार्मिक स्थळ छे. भावनगर नो राजवी परिवार कुळदेवी तरीके खोडियार माताजीने पुजे छे. राजपरानुं आ खोडियार मंदिर सौ प्रथम आताभाई गोहिल ए बंधाव्यु हतुं. त्यार बाद ई.स.१९१४नी आसपास भावनगर नां राजवी भावसिंहजी गोहिल ए आ मंदिरनुं समारकाम करावीने तेमां सुधारा कर्या हतां. अहीं आई श्री खोडियार माताजीने सोनानुं छत्र (सतर) भावसिंहजीए चडाव्यु हतुं. कहेवाय छेके तांतणिया धरावाळा स्थळे माता खोडीयार प्रगट थयां हतां. माइभकतो दर रविवारे अने मंगळवारे आ शकितपीठ जेवा ज तीर्थधामे आवी माताजीनी कृपा मेळववा पूजन-अर्चन पाठ-विधि करे छे.


भावनगर नां गोहिल वंशना प्रजावत्सल राजवी पोताना वंशना कुळदेवी खोडियार मातानुं स्थापन राजधानीमां करवा इरछुक हता. जेथी आ राजवीए राजपरा नजीक खोडियार माताजीने भावनगर आवा प्रसन्न कर्या हतां. माताजीए प्रसन्न थईने शरत राखी के हुं तारी पाछळ-पाछळ आवीश पण तारे पाछुं वळीने जोवुं नहीं. जेथी महाराजा आगळ-आगळ अने पाछळ आ भकतवत्सल माताजी चालता हतां. आम राजानी साथे आवेलो रसालो हालना भावनगर बाजु आगळ ने आगळ चाल्यो जतो हतो, पण वरतेज आव्युं त्यारे महाराजाना मनमां संशय जाग्यो के खोडियार माता पाछळ आवे छे के नहीं ? आ प्रश्नना निराकरण माटे शंका वधु ने वधु गाढ थतां आखरे महाराजाए पाछुं वळीने जोयुं. बस खल्लास, आ ज स्थळे माताजी समाई गयां. आ स्थळे माताजीनुं स्थानक थयुं ते आजे वरतेज नजीकनुं सुप्रसिद्ध नानी खोडियार मंदिर. राजपरा मंदिर नारी चोकडीथी ९ किलोमिटरनां अंतरे आवेल छे, परंतुं मोटाभागना लोको त्यांथी चालीने जवुं पसंद करे छे अने राजपरा खोडियार मंदिर तरफ भावनगर थी चालीने जतां दरेक माइभकतो नानी खोडियार मंदिरे पण अचूक दर्शन करे छे.

आम राजपरा खोडियार मंदिर ए माताजीनुं प्रागटय स्थान समुं मोटुं तीर्थ छे, अने नानी खोडियार मंदिर ए माताजी जयां समाया ते स्थानक छे. आ स्थळ हरवा-फरवा, उजवणीना स्थळ तरीके जाणीतुं छे. अहीं आववा भावनगर थी दर रविवारे सिटी बसनी खास व्यवस्था आखो दिवस होय छे. खोडियार मंदिरनी बाजुमां ज तांतणीयो धरो नामनुं तळाव आवेलुं छे थोडे दुर आवेला राजपरा बंधनुं बांधकाम १९३०थी १९३प दरमियान रू. ३,३८,०४५ खर्चे भावनगरना राजवी परिवारे कराव्युं हतुं. खोडियार मंदिर नजीकनी डुंगरमाळामांथी उरच कक्षाना पथ्थरो मळी आवे छे. आ यात्राधामे दर भादरवी अमासे बहोळी संख्यामां राजय अने राजय बहारथी प्रवासीओ आवे छे. भावनगर (शहेर), सिहोर, वरतेज जेवां स्थळोएथी दर शनिवारनी मोडी रात्रे मोटी संख्यामां पगपाळा यात्रिकोनो बहोळो समुदाय खोडियार मंदिर भणी वहेतो होय छे. अहीं मंदिरथी हाईवे सुधी अनेक दुकानो आवेली छे. जे दुकानो अहींनां गामनां लोकोनुं आजीविकानुं एक साधन बनी रही छे. आ धार्मिक स्थळ रेलवे तथा एस.टी.नी सेवाथी जोडायेलुं छे.

“एक विचारवा जेवी वात”

                                    “एक विचारवा जेवी वात” 

आजकाल गुजरातमां एक वा फूकायो छे वाहन पर 


“जयश्री खोडियार मा” 


“जयश्री अंबामा”


“जयश्री आशापुरामा”



“जयश्री बहुचरमा” 
आ जोइने देवी भकतो पर मान थाय ए साहजीक छे पण कोकना भेजानी उपजनी लीधे लोको गाडरिया प्रवाहमां तणाइने “जयश्री खोडियार मां” “जयश्री अंबामां”“जयश्री आशापुरामां” “जयश्री बहुचरमां”लखावता थया छे.वात एटलेथी ज नथी अटकती केटलाय साइन बोर्ड उपर,केटलाय जाहेर बेनर उपर,अरे! इवन माताजीना मंदिर उपर पर आवाज लखाण जोवा मळे छे एवा व्हाला देवी भकतोने एटलुं ज कहेवानुं के छेल्ले लखायला मा शब्द उपर अनुस्वार एटले के,मीडुं हिन्दीमां आवे गुजरातीमां नहीं.गुजरातीमां मा अने मां शब्दना अर्थ अलग थाय छे.आवुं लखावनार खाली गाडरिया प्रवाहमां तणाया छे.कोइकनुं लखावेलुं ते लखावेलनो अर्थ शुं थाय ए कदी विचार्या वगर पेलाए लखाव्युं तो ए बराबर हशे एम समजी आंधळुं अनुसरण करी लखावता थया छे.दाखला तरिके “जयश्री खोडियार मां”नो अर्थ थाय जयश्री खोडियार अंदर “जयश्री अंबामां”नो अर्थ थाय जयश्री अंबा अंदर,“जयश्री आशापुरामां”नो अर्थ थाय जयश्री आशापुरा अंदर “जयश्री बहुचरमां”नो अर्थ थाय जयश्री बहुचर अंदर आ बधी देवीओनी अंदर शुं? मा नो अर्थ “माता” थाय पण मां नो अर्थ “अंदर” थाय ए समजया वगर बस जाती वणजारमां जोडाइ गया ए नवाइनी वात छे.एक सीधो सादो दाखलो ए समजवा पुरतो छे.आपणे मा-बाप लखीए छीए मां-बाप नथी लखता तो आवी भुल शा माटे? अफसोसनी वात ए छे गुजराती भाषाना उत्कर्ष माटे मथता महानुभावो, गुजराती भाषा प्रेमीओ, गुजराती भाषाने विश्वमां फेलववा मांगता मांधाताओ अथवा गुजरातीना कहेवाता कोइ साहित्य कारे आ बाबत तरफ क्यारे लक्ष केन्द्रित नथी कर्युं नहींतर आ अनर्थनो क्यारनो अंत आवी गयो होत तमे शुं मानो छो अने आ भुल सुधार बाबत कशा नककर पगला भरवामां सहयोग आपशो?

Tuesday, 25 April 2017

खोडियार मातानुं भावनगर प्रागट्य:

                  खोडियार मातानुं  भावनगर  प्रागट्य:



भावनगर जिल्लाना बोटाद तालुकाना रोहिशाळा गाममां मामळ नामनो एक चारण रहेतो हतो. जे मालधारीनो व्यवसाय करी गुजरान चलावतो हतो. आ चारणपुत्र पर माता सरस्वतीनी कृपा अपरंपार हती. एने जीभे सरस्वती होवाथी वल्लभीपुरना राजा शिलादित्यनो मानीतो हतो. तेने दरबारमां सौ कोइ मामळदेव तरीके ओळखता हता. तेमनां पत्नी देवळबा पण अत्यंत धार्मिक अने परगजु स्वभावनां हतां. घरे खूब ज लक्ष्मीनो वास हतो पण आ सुखी संसारमां शेरमाटीनी खोट हती. वल्लभीपुरना राजदरबारमां मामळदेवनी वधती जती लोकचाहनाथी अनेक इर्षाळुओने मामळदेव हवे आंखना कणानी जेम खूंचवा लाग्या. इर्षाळु लोकोए एकदिवस राजाना मनमां एवी वात ठसावी के मामळदेव नि:संतान छे. तेनुं मों जोवाथी अपशुनक थाय अने आपणुं राजपाठ एक दिवस चाल्युं जाय तो नवाइ नहीं. राजा शिलादित्य इर्षाळु लोकोनी वातमां आवी गया. एकवार राजाए मामळने कह्युं के भाइ मारे वांझियानुं मोढुं नथी जोवुं माटे तुं अहींयां आवीश नहीं. मामळ तो खूब ज दु:खी थयो. लोको पण मामळने वांझिया महेणुं मारवा लाग्या. मामळ दु:खी हृदये घरे आवीने सघळी वात पोतानी पत्नीने करे छे.
मामळने हवे जिंदगी झेर जेवी लागवा लागी. तेमणे भगवान शिवना शरणमां माथुं टेकव्युं अने निश्चय कर्यो के तेमनी अरज भगवान नहीं स्वीकारे तो पोतानुं मस्तक उतारीने कमळपूजा करशे. घणी ज आराधना करवा छतांय भगवान शिव प्रसन्न न थतां मामळे पोतानुं मस्तक तलवारथी उतारवा जता हता के त्यां ज भगवान शिव प्रसन्न थया अने कह्युं के: पाताळलोकना नागदेवतानी नागपुत्रीओ अने नागपुत्र तमारे त्यां सात पुत्रीओ अने एक पुत्र तरीके जन्म लेशे.
मामळदेव खुश थइने घरे गया अने पोतानी पत्नीने सघळी वात करी. तेमनी पत्नीए भगवान शिवना कहेवा प्रमाणे महा सुद आठमने रविवारना शुभदिने आठ खाली पारणां राख्यां. जेमां सात नागणीओ अने एक नाग आवी गयां अने बाळक स्वरूप धारण कर्युं. मामळदेवने त्यां अवतरेल कन्यानां नाम आवड, जोगड, तोगड, बीजबाइ, होलबाइ, सांसाइ अने सात बहेनोमां सौथी मोटी बहेन भवगती जगदंबा जानबाइ (खोडियार)अने भाइ मेरलदेवना जन्मना समाचार सांभळतां रोहिशाळा गाममां आनंद छवाइ गयो.
जानबाइ खोडियार नामे पूजायां: एकवार जानबाइना एकना एक भाइ मेरलदेवने खेतरमां झेरी सापे डंख मार्यो. झेर एवुं हतुं के ऊतरवानुं नाम ज नहोतुं लेतुं. सातेय बहेनोना जीव अध्धर थइ गया. मेरलदेवने झेर चडतुं जतुं हतुं. आवा समये बधा ज जुदा जुदा उपायने अजमावता हता. पण एक साधुए कह्युं के आ झेर पाताळमां नागलोक पासे रहेला अमृत जळथी ऊतरी शके, पण जो आ जळने सूर्यास्त पहेलां लाववामां आवे तो ज आ मेरलदेवनुं जीवन शक्य छे. बस आटलुं ज सांभळतां ज जानबाइ मेरलदेवनो जीव बचाववा माटे पाताळलोकमां जवा नीकळी गयां. ज्यारे जानबाइ पाताळलोकमांथी अमृत कळश लइने आवतां हतां त्यारे उतावळने लीधे तेमना पगमां ठेस वागी, कारण के सूर्यास्त पहेलां कळशनुं अमृत मेरलदेव सुधी पहोंचाडवानुं हतुं.
पगमां इजाने कारणे जानबाइ चाली शकतां न हतां तेथी तेमणे मगरनी मदद लीधी. ते मगर पर बेसीने मेरलदेव सुधी पहोंच्यां अने मेरलदेवनो जीव बचाव्यो त्यारे तो बधाना जीवमां जाणे जीव आव्यो अने जानबाइ पगमां ठेसने कारणे खोडातां चालतां हतां तेथी सौ बोल्या के खोडल आवी. बस, आ दिवसथी जानबाइ मा खोडियारना नामे ओळखावा लाग्यां. त्यारथी मगर जानबाइनुं वाहन बन्यो. मगरने सोनानी वाळी नाकमां पहेरावी आशीर्वाद आप्या अने मा खोडियारे कह्युं के आजथी तुं मारुं वाहन गणाइश.
रा’नवघणनो जीव बचाव्यो: राजा रा’नवघण ज्यारे तेमनी बहेनोने बचाववा माटे युद्ध माटे जता हता त्यारे खोडियारमाना मंदिरनी नजीक 200 मीटरनी ऊंचाइएथी तेमणे घोडाने कूदाव्यो हतो. छतां पण मा खोडियारनी कृपाथी रा’नवघणने कोइ प्रकारनी इजा नहोती थइ. रा’नवघणने मा खोडल पर अपार श्रद्धा हती. तेओ वारंवार तेमना रसाला साथे अथवा घोडा पर बेसीने पांच-सात गाउ दूर मातानां दर्शने जता. रा’नवघणना माता सोमलदेने खोडियार माता उपर खूब ज श्रद्धा हती अने तेमना आशीर्वादथी ज रा’नवघणनो जन्म थयो हतो.
खोडीयार जयंती ना शुभ अवसर निमिते आप सर्वे ने खुब खुब सुभेच्छा !! जय खोडियार मां जो आप मां खोडीयार ने मानता होय तो शेर अने लाईक करवानुं ना भूलशो...

गुजराती निबंध - मातृप्रेम .. मा ते मा बीजा बधा वगडाना वा..जननी जोड सखी नही जडे रे लोल




ईश्वरे प्रेमनुं सर्जन कर्युं हशे त्यारे सौथी प्रथम माता बनाववानुं विचार्युं हशे ! अनन्वय अलंकारमां कहीए तो…  वात्सल्यनी मूर्ति एटले मा, मा एटले वात्सल्यनी मूर्ति .  एना जेवी व्यकित आ जगतमां कयांय मळे एम नथी ! मातानो जोटो जडवो. बाळकने जन्म आपनार अने एनुं लालनपालन करी जीवननुं सुयोग्य घडतर करनार मातानी मूल्यवान सेवानो बदलो कोनाथी वाळी शकाय एम छे ? बाळक उदरमां होय त्यारथी मांडीने ए मोटुं ने समजणुं थाय त्यां सुधीमां, अनेक कष्टो वेठनार अने पोताना शरीर-सुखना भोगे पोताना बाळकनी मावजत करनार माताने जो ईश्वरे पेदा  ज ना करी होय तो आपणुं शुं थात ? कोणे लालन पालन कर्यु होत, कोणे आपणने संस्कार आप्या होत. कोणे आटलो प्रेम लूटाव्यो होत.. मातानु महत्व तो तमे एकवार जईने अनाथाश्रममां रहेता बाळकोने जोईने के तेमनी साथे वातचीत करीने जोशो तो समजाशे.  मुशकेल छे. खुद ईश्वर पण एनी जोडे बेसी शके तेवो नथी ! साचे ज, जगतमां सौ सगा स्नेहीजनो वच्चे मातानी त्यागनीमूर्ति, बलिदाननीमूर्ति,सौजन्यनीमूर्ति अने प्रेम/त्यागनीमूर्ति पूनमना चांद जेवी झळहळे छे. ?    जगतमां सर्वप्रथम अने बाळकना मुखमांथी निकळतो प्रथम जो शब्द होय तो ते ‘मा’ ‘मम्मा’छे.
कविओए मातृप्रेमनो महिमा मुकतकंठे गायो अने बिरदाव्यो छे. कवि बोटादकरे  पोतानी कवितामां कह्युं छे के,  “जननीनी जोड सखी नहि जडे रे लोल !   माता ए माता ज छे. पचेहे ए आठ बाळकोनी माता होय के एकना एक संताननी ! माताने मन एनु प्रत्येक बाळक काळजानो कटको छे. माता गरीब घरनी होय के श्रीमंत घरनी.. एना वात्य्सलयनु झरणुं तो अखूटपणे वह्या ज करे छे.  वळी बाळक ह्रष्टपुष्ट अने देखावडु ज होय ए काई जरूरी नथी. माताने मन तो एनु लुलु लंगडु के बहेरु बोबडु बाळक अप्ज गुलाबना खीलेला गोटा जेवु ज होय छे. माताने घडीने ईश्वरे हाथ धोई नाख्या छे एम कहीए तो जराय खोटु नथी.

बाळक मांदु पडे. निशाळेथी आवता थोडु मोडु थाय के कोई चीज मेळववा माटे धमपछाडा करे त्यारे माता लाख काम पडता मुकीने केवी बेबाकळी अने चिंतातुर बनी जती होय छे ! बाळकना सुखे सुखी अने बाळकना दुखे दु:खी  थनारी, रात दिवस तेना हितनी प्रार्थना करनारी माता जेवी त्यागमूर्ति जगतमां बीजी कोई छे खरी ? जीवन नैयानु सुकान माता छे. मा विनाना बालकोनी स्थिति अत्यंत दयाजनक अने अश्य होय छे. रेटियो कातती मा घोडे चडता बाप करता हजार दरज्जे सारी छे.  जीवननु सबरस मा छे. एनो त्याग एनु वात्सल्य  एनु माघुर्य ए तो संतानना जीवननी अणमोल अद्वितीय मुडी छे.
 आखा जगतनो आधार मातानी आगळी छे .एनी आंगळीमां अभय छे. सामे वाघ आवीने ऊभो होय पण दीकराए जो मानी आंगळी झाली हशे तो  एने बीक नही लागे ! एनी आंगळी निर्भय छे. ‘मा’ शब्द ज ममताथी भरेलो छे. पशु होय के पक्षी होय मातानो प्रेम एना पोतानां बच्चां माटे अपार हशे, गाय पोताना वाछरडांने, कूतरी पोतानां गलूडियांने. चकली पोतानां बच्चांने,वादरी पोतानां बच्चाने प्रेमस्नेह करतां थाकती नथी. केवां साचवे छे,चाटे छे अने खवडावे छे. अबोला प्राणीमां जो आटली माया ने लागणी होय तो मानव-मातानी तो वाता ज शी करवी ?



               
जगतमां दरेक महान पुरुषोना जीवन घडतरमां तेमनी मातानो फाळो अनन्य अने अनमोल रह्यो छे. ते बाळकनी प्रेरणादात्रीनी छे. नेपोलियन जेवाने कहेवुं पडेलुं के, “ एकमाता ए सौ शिक्षकनी गरज सारे छे.” माता संतानना चारित्र्यनुं घडतर करे छे,ते थकी  समाजनुं अने राष्ट्रनुं घडतर थाय छे. आ “मा ”बनवु  पण सहेलु नथी  कारणके नव मासना गर्भधान  पछी आकरी प्रसूतिनी पीडा अने  शिशुपालननी अढळक  जवाबदारी ए अनेक  बलिदान मांगी ले छे. अने आ बधु एक  संपूर्ण निस्वार्थ भावनाथी  मात्र पोताना  देवना दीधेला माटे.....!!आटलु जतन करीने वखत आवे तो पेटे पाटा बांधीने पुत्रनु जतन करनार माताने घडपणमां जो पुत्र तरफथी प्रेमने बदले तिरस्कार, सहाराने बदले अपमान मळे अने मददने बदले कुवचनो सांभळवा मळे तो ए पुत्रने पुत्र कहेवो के पत्थर ? आटलु थवा छता माता कायम पोताना दीकराने आशीर्वाद ज आपती रहे छे. तेथी ज तो कहेवाय छे के "छोरुं कछोरुं थाय पण माता कुमाता न थाय.  

          

गोहिलवंशना कूळदेवी राजपराना खोडियारमा

                  गोहिलवंशना कूळदेवी राजपराना
                                                                                                              खोडियारमा 
                  नोधाराना आधार बन्यां






मां आद्यशक्तिना पर्व नवला नोरतानो प्रारंभ थई गयो छे. नव दिवस सुधी दैवी शक्तिनी आराधना करवानो तेमज गरबे घुमीने मा ना आर्शिवाद प्राप्त करवानो अनोखो महिमा छे. त्यारे सिहोर तालुकाना राजपरा गामे बिराजमान मां खोडियारना मंदिरे हजारो पदयात्रिओ माताजीना रथ अने धजा पताका साथे माताजीनी आराधना करवा उमटी पडया छे.

सौराष्ट्रनी भूमि एटले 2016-10-01संतो महंतोनी भूमि गणाय छे. अहीं अनेक संतो महंतो अने सतीओ थइ गया छे. भावनगर जिल्लामां सिहोर पासे राजपरामां खोडियार माताजीनुं मदिर आवेलुं छे. खोडियार मंदिर देश विदेशमां पण प्रसिद्ध छे, अने लाखोनी संख्यामां भक्तो अहीं आवे छे अने मा खोडियारना आशिर्वाद मेळवे छे.

शिहोरथी 4 कि.मी.ना अंतरे आवेलुं राजपरा भावनगर राज्यना अगाउना राजवीओनी कुळदेवी खोडियार माताना सुविख्यात मंदिर माटे जाणीतुं छे. मंदिरने 36 थांभला अने विशाळ मंडप छे. हाल आ मंदिरनो वहीवट भावनगरनो राजवी परिवार संभाळी रह्यो छे. आ विस्तारमां मां खोडियार खूब वंदनीय छे. अने हजारो भक्तो खास करीने रविवारे अने मंगळवारे आवे छे. केमके आ देवीनी पूजा00206 माटे आ वार पवित्र मनाय छे.

खोडियार माताजीना प्रगट्या विशे अनेक दंत कथाओ छे, जेमां वात करीए तो रोहीशाळा अने राजपरा गामने लगता खोडियार माताजीना प्रागट्य विषे सौ कोई जाणे छे. पाळियाद पासे आवेला रोहीशाळा गाममां रहेतो मामाडयो चारण वल्लभीपुरना राजा शील भद्रना दरबारमां मामैया देव तरीके जाणीतो हतो. आ मामैया देवनी जीभ उपर सरस्वती मातानो साक्षात वसवाट हतो. परंतु ते नि:संतान होवाथी तेनुं मो जोवुं अपशुकन गणाय तेवी वातो थतां राजाए मामडयाने तेना दरबारमां आववानीना पाडी दीधी हती. त्यारबाद मामडयाए भोळानाथने प्रार्थना करी, भोळानाथ मामडया देव पर प्रसन्न थयां अने 7 पुत्री00036 अने 1 पुत्रनुं वरदान आप्युं हतुं. आ सात पुत्रीमांनी एक पुत्री एटले खोडियार माताजी मामाडया चारणनो दीकरो सर्प दंशना कारणे मृत्यु पाम्यो हतो. हाल जे खोडियार माताजी तरीके ओळखाय छे, तेमनुं मुळनाम जानबाई होवानुं पण मनाय छे.

भावनगरनां गोहिल वंशना प्रजावत्सल राजवी पोताना वंशना कुळदेवी खोडियार मातानुं स्थापन राजधानीमां 00173करवा इरछुक हता. जेथी आ राजवीए राजपरा नजीक खोडियार माताजीने भावनगर पधारवा प्रसन्न कर्या हतां. माताजीए प्रसन्न थईने शरत राखी के हुं तारी पाछळ-पाछळ आवीश पण तारे पाछुं वळीने जोवुं नहीं. जेथी महाराजा आगळ-आगळ अने पाछळ आ भकतवत्सल माताजी चालता हतां. आम राजानी साथे आवेलो रसालो हालना भावनगर बाजु आगळने आगळ चाल्यो जतो हतो. रस्तामां महाराजाना मनमां संशय जाग्यो के खोडियार माता पाछळ आवे छे के नहीं ? आ प्रश्नना निराकरण माटे शंका वधु ने वधु गाढ थतां आखरे महाराजाए पाछुं वळीने जोयुं. बस ए ज स्थळे माताजी धरतीमां समाई गयां.

00215आ स्थळे माताजीनुं स्थानक थयुं ते आजे वरतेज नजीकनुं सुप्रसिद्ध नानी खोडियार मंदिर तरीके ओळखाय छे. राजपरा मंदिर नारी चोकडीथी 9 किलोमिटरनां अंतरे आवेल छे. भावनगरथी राजपरा तरफ चालीने जतां दरेक माइभकतो नानी खोडियार मंदिरे पण अचूक दर्शन करे छे.

आम राजपरा खोडियार मंदिर ए माताजीनुं प्रागटय स्थान समुं मोटुं तीर्थ छे. अने नानी खोडियार मंदिर ए माताजी जयां समाया ते स्थानक छे. आ स्थळ हरवा-फरवा, उपरांत उजवणीना स्थळ तरीके पण जाणीतुं छे. खोडियार मंदिरनी बाजुमां ज तांतणीयो धरो नामनुं तळाव आवेलुं छे. आ तळावनुं पाणी लोको चरणामृत तरीके साथे लई जाय छे. अने आ पाणीने पण गंगाजळ समान मानवामां आवे छे. अने अहींना आ तांतणीया धरा विशे एवुं पण कहेवाय छे के, मा खोडियार अहीं बिराजमान छे. अने जे भक्तो श्रद्धाथी मा ने भजे छे तेने माताजी मगर स्वरूपे दर्शन आपे छे.

पदयात्रिओ माटे विशेष सुविधा

राजपरा खाते नवरात्रिना प्रारंभना 2 दिवस पहेलाथी ज मांई भक्तोनी भीड उमटी पडी छे. दर वर्षे पगपाळा आवता हजारो भक्तो माटे सिहोरनी विविध सेवाभावी संस्थाओ वडीया गाम, सांईबाबा रेस्टोरन्ट वडला चोक मित्र मंडळ(टाउन होल), गोपाल दर्शन कोम्पलेक्ष, गुंदाळा, चेतन हनुमान खाखरीया, होटल पंचनाथ(राजपरा-खो.) द्वारा चा-पाणी, नास्ता, ठंडा पीणा, भोजन सहितनो प्रबंध करी सेवानो समियाणो खडो करवामां आव्यो छे. पदयात्रीओ सिहोरमां दिवसभर रोकाण दरमियान वडला वाळा खोडियार मंदिरे तेमज डुंगर पर बिराजमान सिहोरी माताजीनां मंदिरे दर्शन करी राजपरा खोडियार मंदिरे शीश नमाववा तरफ प्रयाण करे छे.

संकुल मेनेजर विजयसिंह हेमुभा वाळाए chitralekha.com साथेनी वातचीतमां जणाव्युं हतुं के, खोडियार मंदिरे बारेmanager-vijaysinh मास यात्रिकोनो धसारो रहेतो होवाथी मंदिर तरफथी प्रसाद स्वरूपे अन्नक्षेत्रनी व्यवस्था करवामां आवी छे. आ प्रसादीनो समय दररोज सवारे 11थी बपोरना 3 वाग्या सुधी अने सांजना 7 वाग्याथी रात्रीना 10 वाग्या सुधी प्रसाद भक्तोने पीरसवामां आवे छे. आ उपरांत दर मंगळवारे मातजीने पंसद एवी सुखडी अथवा लापसीनी प्रसादी पीरसवामां आवे छे. नवरात्रि दरमियान ट्रस्ट तरफथी आसो सुद आठमना दिवसे विशेष हवननुं आयोजन पण करवामां आवे छे.

yuvraj-javirraj-sinh-trustiमंदिरना ट्रस्टी युवराज जयवीरराज सिंहे chitralekha.com साथेनी वातचीतमां जणाव्युं हतुं के, खोडियार मंदिरमां आवता यात्रिको ने वधुमां वधु सुविधा मळे ते माटे ट्रस्टी ओ कटीबद्ध छे. अहीं आवता हजारो लोकोनी सुरक्षा माटे ट्रस्टनो खानगी सिक्युरिटी स्टाफ अने पोलीस पण खडे पगे छे. आ उपरांत समग्र संकुलने सी.सी.टीवी केमेराथी सज्ज करवामां आव्युं होय यात्रिकोनी सलामती माटे पण पूरता पगला भरवामां आव्यां छे.

मंदिरना ट्रस्ट तरफथी यात्रिकोना आरोग्य माटे खास व्यवस्था उभी करवामां आवी छे. जेमां फ्री दवा आपवामां आवे छे. दररोजना अंदाजे 50 जेटला दर्दीओ आ सेवानो लाभ ले छे. दवाखानानो समय सवारे 9थी सांजना 4 वाग्या सुधीनो छे.

खोडियार मंदिर नजीकनी डुंगरमाळामांथी उच्च कक्षाना पथ्थरो मळी आवे छे. आ यात्राधामे दर भादरवी अमासे बहोळी संख्यामां राज्य अने राज्य बहारथी प्रवासीओ आवे छे. भावनगर (शहेर), सिहोर, वरतेज जेवां स्थळोएथी दर शनिवारनी मोडी रात्रे मोटी संख्यामां पगपाळा यात्रिकोनो बहोळो समुदाय खोडियार मंदिर भणी वहेतो होय छे. अहीं मंदिरथी हाईवे सुधी अनेक दुकानो आवेली छे. जे दुकानो अहींनां गामनां लोकोनुं आजीविकानुं एक साधन बनी रही छे. तेमज आ धार्मिक स्थळ रेलवे अने एस.टी.नी सेवाथी जोडायेलुं छे.

मित्रो, वडीलो, भाईओ-बहेनो... जय माताजी... राम राम...!!

                    मित्रो, वडीलो, भाईओ-बहेनो... जय माताजी... राम राम...!!




 काठीयावाडना कठण काळजां समा भावनगरमां आपने नवा वरसमां सादर आमंत्रीत करुं छुं. भावनगर तो रजवाडुं, फरवा लायकतो घणी जग्याओ पण जयां हजीय शक्तिओ-मावडीओनो हाद छे, तेमज मने जे जग्याए मने वारंवार जवानुं मन थाय छे (अने जाव पण छुं).....

राजपरा खोडियार...
          आवा तहेवारोमां जो अहीं मंदिरना जरा पण दर्शन थाय तो सौभाग्य गणवुं.. ने आ तो ए मावडी छे के जेनी फक्त धजाना दर्शन थाय तो तमारी आबरुंना कोइ'दि धजागरा न थाय हो वाला...देश-देशनी वात तो दुर रही मित्रो, आज हुं मंदिरए गयो हतो, चार-पांच भुरीया पण देखाणां !! खोडियारनुं खोटुं नहीं ने खोटानी खोडियार नइ हो...!!

मांगल धाम भगुडा...
         नवलाख लोबडांणीओ चारण कुळमां जन्मी छे , ने चारणोए माताओने शाब्दिक उपमाओ वडे लाड लडाव्या छे. मोगल ए गुप्त शक्ति छे. आजकाल नइ छेल्ला केटलांक वर्षोनी परचा पुरे छे,
आवी मां मोगलनी एकवार मेर थाय तो आखी जिंदगी लीला लेर थइ जाय हो वाला !

         आवा तो घणांय स्थळो, पण भावेणाना मांडवाळी गामे राज बाईमां बेठा छे, मंदिर सामे एक कुइ छे. एवो त्यां हाद छे के जो कोइ ए कुइनुं पाणी गाळीने पीवे अने तेनुं गळुं होजवाडी न दे तो ए राज बाई न केवाय ! ( ट्राय करवी होय तो स्वागत छे.)
.....ने वळी दरियानो विशाळ पट्ट पण खरो... अमारुं झांझमेर.... संत भूमी सोरठनी...!
तय आवो.... डेलीओए डायरा करशुं.....!!!
बापा सीताराम... जय जय काठीयावाड....!

माँ खोडीयार तेमनी 7 बहेनो साथे स्थिर थइ गया

                             
        माँ खोडीयार तेमनी 7 बहेनो साथे स्थिर थइ गया



 भावनगर- सौराष्ट्रनी भूमि एटले संतो महंतोनी भूमि गणाय छे. अहीं अनेक संतो महंतो अने सतीओ थइ गया छे. आपणे अहीं वात करीए भावनगर जील्लामां सिहोंर पासे राजपरा खोडियार गामे बिराजता खोडियार माताजीना मंदिर विषे राजपरा गामे आवेलुं आ खोडियार मंदिर देश विदेशमां पण प्रसिद्ध छे, अने लाखोनी संख्यामां तेमना भक्तो अहीं आवता होय छे.

१४ मी फेबृआरी एटले खोडियार माताजीनो प्रागट्य दिवस श्री खोडियार माताजीना प्रगट्या विषे अनेक दांत कथाओ छे जेमां वात करीए तो रोहीशाळा अने राजपरा गामने लगता खोडीयार माताजीना प्रगट्य विशे सहु कोई जाणे छे.

पाळियाद पासे आवेला रोहीशाळा गाममां रहेता मामाडयो चारण वल्लभीपुरना राजा शील भद्रना दरबारमां मामैया देव तरीके जाणीतो हतो आ मामैया देव तेमनी जीभ उपर सरस्वती मातानो साक्षात वसवाट हतो आ Khodiyar maaमामाडयो  देव नि:संतान होय तेनुं मों जोवुं अपशुकन गणातुं तेवी वातो थता राजाए मामाडया देवने तेना दरबारमां आववानी ना पडी दीधी हती. मुंझायेला मामाडया देवे महादेवने रीझववा माटे घर छोडी दीधुं हतुं. भोळानाथ मामडया देव पर प्रसन्न थया अने ७ पुत्री तथा १ पुत्रनुं वरदान आप्युं हतुं अने आ सात पुत्रीमांनी एक पुत्री एटले खोडीयार माताजी, मामाडया चारणनो दीकरो सर्प दंश ना कारणे मृत्यु पाम्यो बादमां हाल जे खोडीयार माताजी तरीके ओळखाय छे तेमनुं मूळ नाम जानबाई होवानुं मनाय छे बीजी एक लोकवायका मुजब जोवा जईए तो आ खोडीयार माताजी धारीमां पण स्थिर थया हता.

भावनगरना महाराजा भावसिंहजीए तेमनी राजधानी सिहोंरथी भावनगर फेरवानुं नक्की करता माताजीने भावनगर पधारवा माटे विनंती करी हती अने माताजीए महाराज भावसिंहजी साथे एक शरत पण मूकी KHODIYAR TEMPLE 13-2-16 (3)होवानी लोकवायका छे. माहाराज भावसिंहजीने कह्युं हतुं के, हुं तारी साथे भावनगर तो आवुं पण तारे पाछळ फरी ने जोवानुं नहीं अने जो तेवुं थशे तो हुं ए ज जग्याए स्थिर थइ जईश. ते पछी महाराजा आगळ अने खोडीयार माताजी झांझर पहेरीने रूम झूम करता तेनी पाछळ आववा नीकळ्या हता हजु तो सिहोंरनुं पादर वटया  अने राजपरा गाम पासे झांझरनो रणकार बंध थइ जता महाराजा भावसिंहजीने शंका गई अने तेणे पाछु वाळीने जोता खोडीयार माताजी तथा तेमनी तमाम बहेनो त्यां स्थिर थइ गई हती. बादमां अहीं राजवी परिवारे तांतणीया धरानुं निर्माण पण कर्युं अने मंदिर पण बनाव्युं जे खोडीयार माताजीनुं मंदिर आजे देश विदेशमां प्रसिद्ध छे.

खोडीयार माताजीना दर्शन माटे लोको अनेक प्रकारनी बाधा पण राखे छे. अहीं मंगळवार अने रविवारे मोटी संख्यामां भक्तजनो उमटी पडे छे. भावनगरथी दर शनिवारे हजारोनी संख्यामां लोको पगपाळा यात्रा करी माताजीना दर्शन माटे जाय छे.

माताजीना स्थानको - परचाओ

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लोको माता मेलडीनी मानता मानवा लाग्या. मां पण भक्तोना काम करवा लाग्या. भगवान भोळानाथ जेम कोईपण भक्तनी जरा सरखी पण भक्ति जोई वरदान आपी दे, एम मेलडी मां दयासागर-करुणासागर भक्तोनी नानीशी भक्तिथी खुश थइ भक्तोने मनवांछित फळ आपवा लाग्या. पछात वर्गोनां माणसोथी मांडीने विद्वान पंडितो, ब्राह्मणो अने राजा-रजवाडाओ पण मेलडी मांनी भक्ति करवा लाग्या. एवा एक गोहिलकुळनां राजवी ठाकोर वखतसिंह (आताभाई)नो माईभक्तिनो किस्सो बहु मशहुर छे.



गोहिलकुळनी मूळ गादी सिहोरमां हती. भावनगर ए वखते वडवा नामनुं नानुं गाम हतुं भावसिंहजीनां जन्म पछी तख्तसिंह ठाकोरे भावसिंहजीनां नाम परथी भावनगर शहेर वसाव्युं अने  सिहोरथी गादी भावनगर फेरवी. ए पहेलानी आ वात छे.



हाल सिहोरनां दरबारगढमां माता मेलडीनुं पुरातन मंदिर आवेल छे. गोहिलकुळनी कुळदेवी आई खोडियार छे, पण भक्तिथी मेलडी मातानी पूजा थाय छे. ठाकोर वखतसिंह नियमित मानो दीवो कर्या पछी ज अन्नजळ लेता. गोहिलकुळ गरवुं गंगाजी जेवुं पवित्र. आ कुळमां कदी कोई मांसाहार के सूरापान न करतु. वळी आताभाईथी मांडी कृष्णकुमारसिंहजी सुधीना राजवीओ विद्वान पण एटला हता.



मेलडी मां मंदिरमां वरसमां एक वार नवरात्रीनी आठमे बकरानो भोग चढाववानो नियम हतो. बनेलुं एवुं के ई.स. १२९५ थी १३१६नी आसपासमां थइ गयेलो दिल्हीनो सुलतान ' अलाउदीन बीजो'  जे ईतिहासमां 'खूनी सुलतान' पण जाणीतो छे. ते पाटण जीती रुद्रमाळ तोड्या पछी देव-देवताओना मंदिरो तोडतो काठीयावाड सुधी आवी पहोच्यो. सिहोरमां सिहोरी मातानुं मंदिर, आई श्री खोडियार मंदिर अने मेलडी मातानुं मंदिर जे दरबारगढमां हतुं, ए तोडी पाडवा अलाउदीन बीजाए सिहोर पर हूमलो कर्यो. सिहोर फरतो कोट हतो. जेना चारेय तरफना दरवाजाओ बंध करी देवाया. यवन लश्कर गाममां प्रवेशी न शक्युं. लश्कर घेरो घाल्यो. सिहोरना इतिहासमां आनुं वर्णन छे. बार वरस सुधी गामना दरवाजा बंध रह्या. छेवटे अनाज-पाणी खूटवा लाग्या. वखतसिंह ठाकोर मेलडी माना मंदिरमां जई आ मुसीबतमांथी मार्ग काढवा माने विनववा लाग्या, अने माने बकरो चढाववानी मानता मानी. माताजीए खुश थइ आताजीने परदा पाछळथी कह्युं. "काल सवारे तारुं लश्कर तैयार राखजे. सौथी आगळ तुं रहेजे. हाथमां सफेद धजावाळो भालो राखजे. हुं काळी देवचकली बनी तारा भाला पर बेसुं, पछी कोटनां दरवाजा बादशाहना लश्कर पर तूटी पडजे."



आताजीए रातना ज लश्करने तैयार रहेवा हुकम कर्यो. नाही-धोई पवित्र थइ माना मंदिरमां जई पगे लागी आताजी ठाकोर अश्व पर सवार थया. हाथमां बार हाथनो भालो. भाला पर मेलडी माताजीनी नानी धजा लगावी ठाकोर सवार थवानी राह जोवा लाग्या. सवार पड्युं. एक काळी देवचकली फरर करती आवी ठाकोरना भाला पर बेसी गई. आताजीए 'मेलडी मात नी जय' बोलावी कोटनां दरवाजा खोलावी नाख्या. क्षत्रियोनुं लश्कर छूट्युं. यवन सैनिको कई समजे के विचारे ते पहेला गोहिलो मांड्या यवन सैनिकोने कापवा. अलाउदीन भाग्यो. आ लडाईनी यादगीरीना भीतचित्रो आजे पण सिहोरना दरबारगढमां मोजूद छे. मेलडी मातानी सहायथी आताजी जीत्या. त्यारथी नवरात्रीनी आठमे बकरानो भोग माताजीने चढाववानो नियम हतो.

एक वखतनी वात छे. नवरात्रीनी आठम आवी गाममां भोग धराववानी वात थवा लागी. एक ब्राह्मणनी कन्याए आ वात सांभळी. कन्या समजु हती. धार्मिक हती. मां मेलडीमां श्रद्धा धरावती हती. पण कन्या जीवदयावाळी हती. कोईपण रीते हिंसा न थवी जोईए एम द्रढपणे मानती हती. तेने भोगना बकरानो जीव बचाववानो विचार आव्यो.



ब्राह्मणकन्या जाणती हती के वखतसिंह (आताभाई) बापु खूब ज दयाळु हता. साची वात समजे अने स्वीकारे तेवा भला हता. छोकरी पहोची दरबारगढमां. जईने कुंवरीबा तथा बासाहेबने मळी. पोते भोगनां समये हाजर रहेवा मांगे छे तेवी विनंती करी.



समय थयो. राजकुटुंब मंदिरमां आव्युं. रावळदेवे डाक पर दांडी पीटी. जांज, मंजीरा वागवा लाग्या. भूवाए बाजोठ पर लाल कपडुं पाथर्युं. जुवारनां दाणानी पोटली खोली. सामे आसन पर वखतसिंह बेठा. डाक मंजीरा बंध थया. मंदिरमां नीरव शांति पथराई गई. भूवाए वखतसिंह सामे जोयुं. मानुं स्मरण कर्युं. जुवारना दाणानी चपटी लीधी अने बोल्या : "जो मां, तारो हुकुम होय तो आपजे वासा..........." ठाकोर मानुं स्मरण करी जुवारना दाणाने बब्बेनी जोडमां आंगळीथी गोठववा लाग्या. एक दाणो वध्यो. बापुए भूवा सामे जोयुं. भूवो मां साथे वात करतो होय एम बोल्यो : "मां, अमे तारा बाळको कहेवाईए. तारा खाजारू रखडे छे, एने लइ ले अने अमने आशीर्वाद आप मावडी." एम बोली भूवाए फरी दाणा नाख्या ने वधावो मांग्यो. बापु सामे जोई बोल्यो : "जुओ तो, केम छे ?" बापुनी आंगळीओ दाणा बब्बेनी जोडमां गोठववा लागी. दाणो वध्यो नहि. बापु ने भूवो एकबीजा सामे जोई रह्या.



आ वखते ब्राह्मणकन्या बोली : "ठाकोर बापु, दाणा तो एकी-बेकी आव्या करे. दस वार मागो तो खरुं पण पडे. माना पहेला हुकुमनुं पालन शुं काम करता नथी ? जो माने बकरानो भोग लेवो होत तो पहेला ज दाणा तमे मांग्या प्रमाणे आवत. ए हजार हाथवाळीने दाणा आपता वार केटली लागे ?" आताजीए कन्या सामे जोयुं. हाजर रहेला बधा गभराया के हवे आ कन्यानी खेर नथी. भूवाने ईशारो कर्यो के बकराने रमतो मूकी डो. डाक, जांज, मंदिरा वागवा लाग्या. राजकुटुंबे माना दर्शन कर्या अने प्रतिज्ञा करी के आजथी जीव-हिंसा नहि करीए. त्यारथी आज सुधी राजपरिवारे बलिप्रथा सदंतर बंध करी.



आजे पण मेलडी माताजीने मानवावाळा अने पूजवावाळा वधता ज जाय छे. पछात वर्गना माणसो ज नहि, उजळीयात वर्ग पण भावथी मानी भक्ति करे छे. काठीयावाडनुं कोई पण गाम मेलडी मातानी देरी वगरनुं नहि होय.

!! बोलो, मेलडी मातनी जय !!

About Khodiyar Maa

                                          About Khodiyar Maa

                  **** About Khodiyar Maa  ****




 
         


Khodiyar Maataji

Khodiyar Maa (Maa meaning mother in many Indian languages) is the Hindu goddess who appeared in the story of Mamaniya Gadhvi in about AD 700.
Mamaniya Gadhvi had good relations with the then ruler Maharaj Shilbhadra. The ruler's ministers envied this exceptional relationship and hatched a plan to get rid of Mamaniya Gadhvi. They were not very successful at persuading the ruler, but they succeeded in persuading the ruler's wife queen.
One day, the doorkeepers did not let him go into the palace. When Mamaniya asked for the reason, he was told that a childless man is not worthy of the king's presence. Mamaniya returned home and wanted to ask Lord Shiva for help. When Lord Shiva did not appear, he decided to give his life away as a final sacrifice. Just when he was about to kill himself, Lord Shiva appeared and took him to the Snake Kingdom - Nagaloka to see the King of Snakes - Nagadev.
After hearing his story full of humiliation, the Nagadev's daughters decided to help too. When Mamaniya came home, with his wife he prepared, as advised by the Nagdev's daughters, eight cradles in expectation of a great event. One day eight snakes crawled into the house and Mamaniya had suddenly seven daughters and one son. One of the daughters was Khodiyar Maa. After showing many miraculous powers, people consider her to be a goddess and she has temples and shrines too. Her vehicle is the crocodile and she has many other names such as Khodal, Trishuldhari, Maavdi. Goddess is considered as a daughter of Charan. Her temples are found all over Gujarat, Rajashtan and Mumbai, but the most important four are - Matel Near Wankaner, Rajpura village near Bhavnagar, Galdhare and Daathaniya. Temple at Matel is huge and people gather on the riverbank near the temple to see a crocodile, the Goddess' mount. Another popular temple of Mataji is near Bhavnagar city at Rajpara village. There is lake near temple known as Tataniya Dharo, and for the same reason goddess is also known as Tataniya Dharawali.
A Gujarati film ‘Jai Khodiyar Maa’, was once a box office hit and Hemant Chauhan has a garba CD with the same title.


  
Khodiyar Surname
Many Hindu Castes mainly Charan, who worship Khodiyar Mata as their Kuldevi also use Khodiyar as their surname. Chudasama, Sawaria clans sometimes used Khodiyar as their surname as they worship Khodiyar Mata, as their Kuldevi.[1]
External links

    http://www.khodiyarmataji.com
    About Nagas, Khodiyar Maa mentioned too

     Kadia Kshatriya Itihas Published by Nutan Prakashan (1895) in Gujarati.


    IN GUJRATI

खोडीयार मा

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खोडीयार मा (घणा भारतीय भाषाओमां मा अर्थ माता) हिन्दू देवी जे एडी 700 मां Mamaniya गढवीना वार्ता देखाया छे.

Mamaniya गढवीना पछी शासक महाराज Shilbhadra साथे सारा संबंधो हता. शासक प्रधानो आ असाधारण संबंध envied अने एक योजना Mamaniya गढवीना छुटकारो मेळववा माटे त्रांसी. तेओ शासक समजाववा खूब ज सफळ रह्या न हता, परंतु तेओ शासक पत्नी राणी समजाववा सफळ रह्या हता.

एक दिवस, द्वारपाळ तरीके सेवा आपवानी तेने महेलमां जवा दो न हती. ज्यारे Mamaniya कारण माटे पूछ्युं छे, तेमणे कह्युं हतुं के एक निःसंतान माणस राजानी हाजरी लायक नथी. Mamaniya घरे परत फर्या अने मदद माटे भगवान शिव पूछवा मागता हता. भगवान शिव देखाया न हता, त्यारे तेओ तेमना जीवन दूर आपी अंतिम बलिदान तरीके नक्की कर्युं. मात्र त्यारे तेमणे तेनी जाते आत्महत्या करवा हती, भगवान शिव देखाया अने तेने सापनी किंगडम लीधो - Nagadev - Nagaloka साप राजा जोवा माटे.

तेमनी वार्ता अपमान संपूर्ण सांभळ्या पछी, Nagadev पुत्रीओ पण मदद करवा माटे निर्णय कर्यो हतो. ज्यारे Mamaniya घरे आव्या, पोतानी पत्नी साथे तेमणे तैयार छे, कारण के Nagdev मातानो पुत्रीओ, एक महान घटना अपेक्षा आठ क्रेडलनो द्वारा सलाह आपी हती. एक दिवस आठ साप घर मां क्रोल अने Mamaniya अचानक सात पुत्रीओ अने एक पुत्र हतो. पुत्रीओने एक खोडीयार मा हती. घणा चमत्कारिक सत्ता प्रदर्शन बाद, लोको एक देवी तरीके गणे छे अने ते मंदिरो अने मस्जिदो पण छे. तेना वाहन मगर छे अने ते जेम Khodal, Trishuldhari, Maavdi अन्य घणा नामो छे. देवी चरण एक पुत्री तरीके गणवामां आवे छे. तेना मंदिरो गुजरात, Rajashtan अने मुंबइ पर जोवा मळे छे, परंतु सौथी महत्वनी चार छे - Matel नजीक वांकानेर, भावनगर, Galdhare अने Daathaniya नजीक Rajpura गाम. Matel खाते मंदिर विशाळ छे अने लोको मंदिर नजीक नदी किनारे भेगा एक मगर, देवी 'माउन्ट जोवा माटे. माताजी अन्य लोकप्रिय मंदिर राजपरा गाम खाते भावनगर शहेर नजीक छे. त्यां Tataniya Dharo तरीके ओळखाय मंदिर नजीक तळाव छे, अने ए ज कारण देवी माटे पण Tataniya Dharawali तरीके ओळखाय छे.

गुजराती फिल्म 'जय खोडीयार मा', एक वखत बोक्स ओफिस हिट हती अने हेमंत चौहाण ए ज शीर्षक साथे गरबा सीडी छे

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                                         चारण काव्य


                                                         
मैं चारण हूँ










Posted on  16/8/2016

मैं देवी पुत्र कवि,ज्ञान की छविकलम का वारण हूँ, मैं चारण हूँ |
मैं देवी पग का दास,दिव्य नर खासशारदे धारण हूँ मैं चारण हूँ |
मैं तलवारों की धार,शब्द की मारकायरता मारण हूँ, मैं चारण हूँ |
मैं वेदों का शब्द,काव्य प्रारब्धजङता सँहारण हूँ, मैं चारण हूँ |
मैं इतिहासों का शाख्य,राज चाणक्यनीति निर्धारण हूँ, मैं चारण हूँ |
मैं कन्या पूजित वर्ण,विध्व परिपूर्णपवित्र अवधारण हूँ, मैं चारण हूँ |
मैं आदिमता का सँगी,आधुनिक श्रंगीप्रगति सँचारण हूँ, मैं चारण हूँ ।
मैं प्रखर वाणी प्रवीण,लोलुपता क्षीणस्वच्छंद उच्चारण हूँ, मैं चारण हूँ |
मैं सत्याग्रह का जनक,सत्य का फलककृत्य असाधारण हूँ, मैं चारण हूँ |
-कवि वरूण सिंह बाड़ी
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    चारण क​विता


चारण बनो










Posted on  9/8/2016

बहु बेटी रे कारणे, जीवन मरण विचार ।
इज्जत इधिको आदरे , चहके चारणचार ॥1॥
सत राखे सत में रहे, सत हो सत व्यवहार ।
सत जीणो मरणो पड़े जिन्दो चारणचार ॥2॥
नित उठ निरखे टीपणो, कर्म मर्म आधार ।
विद्या धन धीरज धरम, चारण चारणचार ॥3॥
नशे सूँ नफरत करे , सादा खान विचार ।
लालच मन गफलत नहीं, जीते चारणचार ॥4॥
सांई साची प्रित हो , अधरम पर नित वार ।
चारण कव चुके नहीं , सब हित चारणचार ॥5॥
चार वर्ण चारण नही, सब पोथी इक सार ।
सफल कर्म अकल धरम , ना लोपे चारणचार ॥6॥
कुँवर# सा मेवाड़#!” जय माता दी
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                                                                    चारण-कन्या








Posted on 9/8/2016

चौद वरसनी चारण-कन्या
चूंदडियाळी चारण-कन्या
श्वेतसुंवाळी चारण-कन्या
बाळी भोळी चारण-कन्या
लाल हिंगोळी चारण-कन्या
झाड चडंती चारण-कन्या
पहाड घूमंती चारण-कन्या
जोबनवंती चारण-कन्या
आग-झरंती चारण-कन्या
नेस-निवासी चारण-कन्या
जगदम्बा-शी चारण-कन्या
डांग उठावे चारण-कन्या
त्राड गजावे चारण-कन्या
हाथ हिलोळी चारण-कन्या
पाछळ दोडी चारण-कन्या

                                           
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हे नवदुगाँ माँ आइ खोडीयार


तमारा सप्ताक्षरमां साक्षात दर्शन थाय छे

' ज ' केता जीवन सुधरे,

' य ' केता अवनी सुख मळे,

' खो ' केता माँ खडी थाय,

' डी ' केता दळदळ जाय,

' या ' केता माँ आवी मळे,

' र ' केता रिद्धि सिद्धि मळे,

' माँ ' केता मरण टाळे,

' जय ' केता जयकार थाय,

' खोडियार ' केता संकट जाय.

.......जय खोडियार माँ......


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Many of her traditional bhakts practice ‘mannats’(an offering made against a wish fulfilled) and ‘badhas’ (abstention from mainly food or other pleasure in reverence to God/Goddess in order to fulfill a wish) which they believe never go unanswered.
Faith in Khodiyar Maa is the biggest asset any of her bhakts have and live with. Faith is the greatest form of power in universe. Faith is the most precious treasure. It can do the impossible.


तेना परंपरागत Bhakts घणा प्रेक्टिस ' mannats ' ( एक तक एक ईच्छा पूर्ण सामे करवामां ) अने ' badhas ' ( मुख्यत्वे खोराक अथवा एक ईच्छा पूरी करवा माटे भगवान / देवी आदर अन्य आनंद थी परेजी ) जे तेओ जवाब जइ क्यारेय माने .
खोडीयार मा विश्वास सौथी मोटी एसेट तेना Bhakts कोइ पण होय अने साथे रहे छे. फेइथ ब्रह्मांडमां शक्ति महान स्वरूप छे. फेइथ सौथी किंमती खजानो छे. ते अशक्य करी शको छो.
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                                                    MAA PRASADI







Lapsi Of MAA Khodiyar


Lapsi is believed to be the most auspicious food of Khodiyar Maa. Made of wheat, it is sweet to taste. Variants of lapsi are offered to other Matajis. At Rajapara Khodiyar Mandir, Bhavnagar, tones of lapsi is made on Mahasudh Aatham to offer to Khodiyar Maa and distribute to all the bhakts as prasad. on the day of Chaitra sudh paacham (an auspicious day when Khodiyar Maa's idol was placed in the mandir) lapsi weighing 100s of kilograms prepared so that all the Khodiyar bhakts can share it for their mega-feast in the name of Khodiyar Maa.
( Lapsi खोडीयार मा सौथी पवित्र खोराक मानवामां आवे छे . घउं बने छे, ते स्वाद माटे मीठी छे. lapsi चलो अन्य Matajis आपवामां आवे छे. Rajapara खोडीयार मंदिर, भावनगर, मु lapsi टोन खोडीयार मा माटे तक आपे छे अने प्रसाद तरीके तमाम Bhakts वितरित Mahasudh Aatham पर करवामां आवे छे. चैत्र सुध paacham ( शुभ दिवस ज्यारे खोडीयार मा आइडोल मंदिर मूकवामां आवी हती ) lapsi के जेथी बधा खोडीयार Bhakts खोडीयार मा नाम तेमना मेगा तहेवार माटे तेने शेर करी शको छो तैयार किलोग्राम 100s वजन दिवसे . )
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Khodiaya Maa

ORIGINAL NAME: JANBAI

WEAPON: TRISHUL

VEHICLE (VAHAN): CROCODILE

PRASAD (FOOD): LAPSI (PORRIDGE)

DATE OF BIRTH: MAHASUDH AATHAM(ASHADI BEEJ AS PER SOME VERSIONS) PERIOD: 700A.D.

PLACE OF BIRTH: ROISHALA (NEAR VALLABHIPUR NEAR BHAVANAGAR IN GUJARAT, INDIA)

WELCOME TO KHODIYAR MANDIR RAJPARA BHAVANAGAR
MAA'S MOTHER: MINALDE GADHVI

MAA’S FATHER: MAMANIYA GADHVI


DIFFERENT NAMES OF KHODIYAR MAA


> Janbai      > Khodal      > Trishuldhari  > Tataniya Dhara Wali    > Matel Dhara Wali   > Galdhara Wali   > Maavdi
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खोडीयार मां


मूळ नाम : जानबाइ

शस्त्र : त्रिशुल

वाहन : मगर

प्रसाद : लापसी

जन्म तारीख: महाशुद आठम समय ( अषाठी बिज केटलीक आवृत्तिओ मुजब) : इ.स ७००



जन्म स्थळ: रोहितशाळा (नजीक वलभीपुर नजीक भावनगर गुजरात , भारत)


खोडीयार मंदिर राजपरा भावनगर पर आपनुं स्वागत छे

माता : मीनळदे गढवी


 पिता: मामणिया गढवी



खोडीयार मा अलग अलग नामो

(1) जानबाइ  (2) खोडल

  (3) त्रिशुलधारी (4) तांतणितया धरा वाली (5) माटेल

  धरा वाली (6) गळधरा वाली (7) मावडी
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History Of Khodiyar Maa

( In English )

(1) Birth Of Khodiyar Maa





Humiliation of Mamaniya Gadhvi The story of Khodiyar Maa goes back to around 700A.D. It begins from a village called Roishala. Roishala was a part of Vallabhipur province near the now Bhavnagar city in Saurashtra (Gujrat, India).

Maharaj Shilbhadra was the ruler of the Vallabhipur province. Mamaniya Gadhvi lived in the small town, Roishala in his kingdom. He used to be Maharaj Shilbhadra's best companion and a close confidant. Honest by heart, the humble and eloquent Shiv bhakt, Mamaniya Gadhvi was appointed as a Rajgadhvi by his friend. The king would talk to him for hours at his palace and consult him for important governance issues.

This alliance between Maharaj Shilbhadra and Mamaniya was envied by many ministers in his council. They disliked his presence at the palace and Mahraj's personal chamber. Often found helpless, they could dare not reveal their hatred to the king. They did it to the queen (Maharaj Shilbhadra's wife). One of the king's men pointed out to the queen that Mamaniya and his wife were 'baanj' as they didn't have a child since years after being married. This as explained by him made his presence inauspicious for the king, the kingdom and queen's prospects of having a child.


  The brainwashed queen had to but order the king's men  to refrain Mamaniya Gadhvi's entry to the palace. Next  day the modest soul was stopped at the doors of the  court. He was told by the doormen that the king didn't  want to see his inauspicious face. Shocked Mamaniya sought for a reason for the changed attitude of the king who also has been his best friend. The doorman told him that the king finds it ominous to see a man without kids to be present in the court or king's palace.


Lightning struck at first, Mamaniya's heart was in fragments. He leaves the palace without much of debate trying to swallow the humiliation caused after years of friendship and selfless service.
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(1.2) 

Mamaniya's prayers answered





Mamaniya goes home from the capital. The displeased look on his face could not evade his wife, Minalde's eye. After probing for reasons, she learns about his humiliation at the king's palace for the fact that they did not have kids. She could do little to please her husband who was still reeling under the shock.

Mamaniya decides to go to Shiv temple and make a demand to Lord Shiv for kids. He decides to perform Kamal pooja (a type of Hathyog to please God by hook or by crook). Finally Mamaniya decides to give his life to the unmoved Lord Shiv. Just when he was about to make his final sacrifice Lord Shiv appeared. Lord asked him for a wish and knowing the same he rejected it saying that it weren't in his destiny to become a father. Later he took him to 'Naglok' (the snake kingdom) to see if 'Nagdev' (the king of snakes) could help. On hearing his case, Nagdev's daughters (Nagputris) decide to rescue helpless Mamaniya from his emotional crisis. 7 nagputris (daughters) and 1 nagputra (son) agree to take birth at his place. They promise to arrive on Mahasudh Aatham (debated as Ashadi Beej in some versions).

 Mamaniya and his wife, as informed, keep 8 cradles  ready in anticipation of the great event. As promised 8  snakes crawl in to their house and occupy each cradle.  In no time they take form of a baby. One amongst the 8  babies born is Janbai (Khodiyar Maa).

2. hilbhadra's suspicion

2.1 Native rumours








Mamaniya and his wife celebrate the miracle of their life by distributing sweets. The announcement of having fathered 7 daughters and 1 son reach every nook and corner of the town.

They name their daughters as Aaval, Jogal, Togal, Janbai, Holbai, Beejbai, Sosai and the son, Mehrak (Mehrakiya with love).

   Some fellow villagers knew that Minalde was not pregnant and to have  delivered 8 kids could not have been less than a miracle as they claim.  Some suspected the overnight turnout to be a result of a black-magic trick  practiced by Mamaniya and his wife. These rumours found their way to  Maharaj Shilbhadra's ears who was as rejoiced as anybody else on knowing that Mamaniya was no longer a 'baanj.' Hence it made him reluctant before he paid his visit to Mamaniya charan's celebrations.

2.2 Mataji and her siblings float on water

King's men grab this occasion in wake of rumours to plan king's assassination and blame Mamaniya charan for the same. One of the plants secretly poison the sweets specially brought by Mamaniya charan to offer to the king.

A happy Shilbhadra takes his look at all the babies. When he takes little Janbai in to his arms from the cradle, Mataji extends her hands over his head to bless him. To protect the innocent king from his assassination attempt, Mataji performs another miracle from the cradle. When Shilbhadra is about to eat the poisoned sweets they disappear suddenly.

This annoys the king adding to his doubt of black magic trick being involved. He orders killing of the babies by immersing them in water in iron boxes. To his disbelief the iron boxes floated on water and everyone on the banks could still hear the babies crying in the boxes.
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(2.2) Mataji and her siblings float on water





King's men grab this occasion in wake of rumours to plan king's assassination and blame Mamaniya charan for the same. One of the plants secretly poison the sweets specially brought by Mamaniya charan to offer to the king.

A happy Shilbhadra takes his look at all the babies. When he takes little Janbai in to his arms from the cradle, Mataji extends her hands over his head to bless him. To protect the innocent king from his assassination attempt, Mataji performs another miracle from the cradle. When Shilbhadra is about to eat the poisoned sweets they disappear suddenly.


This annoys the king adding to his doubt of black magic trick being involved. He orders killing of the babies by immersing them in water in iron boxes. To his disbelief the iron boxes floated on water and everyone on the banks could still hear the babies crying in the boxes.

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(3) Khodiyar Maa derives her name








Mamaniya's young kids were playing in the field when brother, Mehrak was bit by a venomous snake. His sisters rushed to him. Aaval suggests bringing of 'Ami' (Elixir of life) from the 'Naglok' underneath the sea. It had to be brought before the sunset in order to save Mehrak's life. Janbai volunteers to bring Ami from Naglok before the sunset.

She gets 'Ami' from Naglok. While hurrying her way back to the surface of water she injures her foot in the hostile rocks beneath. She is rescued by a crocodile who escorts Mataji on its back to the surface of water.

Limping with discomfort Mataji happens to reach the accident site on time. Seeing her in this state, Aaval guesses she must have injured her foot. Feet injury is known as Khodi and that's when she hears one of them saying, 'Khodati aavechhe' (She is limping on her way). For this feat of her to save her brother, Aaval decides to name her Khodiyar and declares that she would be in future known and worshipped as KHODIYAR Maa.

This particular event gives us an idea of how quick and impatient Khodiyar Maa is when it comes to answering the prayers of her followers.

   This event also made 'magar' (crocodile) her 'vahan'  (vehicle). Crocodile is an amphibian reptile. Maa  Khodiyar on a crocodile symbolizes her supremacy  over both land and water.

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4. Khodiyar Maa's leela

Maa Khodiyar then assumed the role of protecting the king, the kingdom and the subjects. Several events of her having saved people from troubles, evil and mishaps occurred. She would treat ill children on the verge of death with a mere touch of her hand.

There are tales of Khodiyar Maa protecting the king from the wrong doings in his own palace. She punished the evil doers. Her blessings saw the King and queen, a prince after years of married life. In some time she was being recognized as the goddess of the province and her stories went far and wide in all pockets of Saurashtra and Sind. Rajdoots (ambassadors) and traders would carry her tales back home to their kingdoms. People from distant places would travel to get her darshan. Other kings were willing to invite Khodiyar Maa to grace their kingdoms. People worshipped her as a goddess and she blessed all her followers like one.
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5. Khodiyar Maa in Junagadh

5.1 Birth of Prince Navghan





 In around 1000A.D. the queen of Junagadh was  being misguided by her ministers. She didn't  have kids for long and she was asked to perform  some trick of black magic for the same. These  tricks backfired and her pregnancy lasted beyond the natural term of 9 months. Her pain would only suggest that a delivery was due any moment but the backfired evil force would not allow it to happen. With the pain and the kid within her she survived another term of 9 months. Things were getting unbearable when she realized that bad means can only have bad consequences. She had heard of Khodiyar Maa and this name was her final hope. With the repentance in mind she prayed Khodiyar Maa from the bottom of her heart for freedom from eternal pain.


Maa Khodiyar appeared right before her to see her deliver a baby boy. Since the prince was born after a series of 9 month terms he was named as Navghan.

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5.2 Khodiyar Maa at Galdhara

Young Prince Navghan was on his way through the jungle of Gir. He stopped by a lake (Galdhara) to clean his horse. Khodiyar Maa appeared before him at the lake. She blessed Navghan and chose to assist him during all his battlefields.

Hence there came upon the oldest shrine of Khodiyar Maa at the Galdhara in Gir.




6. Khodiyar Maa comes to Kathiyawad

6.1 Navghan's battle of Sind


Khodiyar Maa would sit over Prince Navghan's javelin in the form of a sparrow to help him in his battles. He would go on war only if he found the sparrow sitting over his javelin.

Sind's Sumra abducted Prince Navghan's sister Jahal. Navghan prayed Khodiyar Maa to be on his side in his march to Sind to rescue his sister. Mataji once again appeared on the javelin to shield Navghan from the mighty Sumra. Sind's Sumra was killed in the war.

Khodiyar Maa happened to meet the native deities namely, Sikotar Maa, Pathapir and Bhutda. Sikotar Maa and Bhutda decide to stay back in Sind (along with Aaval maa as per some versions. She is there known as Raangni Maa). Pathapir decided to come to Saurashtra.
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6.2 Khodiyar Maa in Aiyavej

After the battle of Sind, Khodiyar Maa insists Prince Navghan to return to his kingdom. Navghan vows to make a temple of Khodiyar Maa in Aiyavej (near Palitana) in Kathiyawar.

Navghan ordered each of his armymen to carry a brick from Sind to be used to construct Khodiyar Maa's temple in Aiyavej. This order was taken casually by the commander-in-chief (Senapati) hence he failed to carry his brick. He was punished for his disobedience. His chopped head still lies dangled to the wall of the temple that was originally built by the bricks from Sind.

Pathapir dada settled at the Aiyavej shrine of Khodiyar Maa.
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7. Matel

7.1 Shepherd’s discovery

Maa Khodiyar revealed her splendid self at Matel (42kms. from Rajkot) in around 1400A.D. A young innocent shepherd once began to notice an increase in the number of cows that he used to take grazing for fodder. He spotted the cow that didn't belong to his herd. To discover whose cow it was, he once chased the cow all the way back holding her by her tail. The cow entered the lake under the water, so did the shepherd. To his surprise he discovered a temple of gold and a goddess with a trishul in her hand on a golden swing. Dumb shepherd didn't know it was Khodiyar Maa. He inquired if it was her cow and asked for compensation for caring for her fodder. Khodiyar Maa gave him a few leaves as a matter of compensation which the disinterested shepherd disposed off in water. When he came home he found his blanket having stuck to itself one of the leaves that didn't drop when he shed them away. The leaf had already turned in to gold. The shepherd rushed back to the lake but in vain.
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7.2 Temple of Matel




The shepherd informed of his experience to the king. He told them about the golden temple he saw under the water. The king ordered hundreds of hand pumps to evacuate the water from the lake. The tip of a golden egg surfaced. It is then believed that there was a flood that rose in no time in the town. The king and his men realised that it was a divine power and that the shepherd had seen  Khodiyar Maa under the water. The golden egg is believed to be the one  placed on the top of the temple.



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8. Khodiyar Maa in Rajpara (Bhavnagar)

Thakur Sahib Wakhatsinhji Akherajji [Atabhai] Gohil, the ruler of Bhavnagar state (late 1700 / early 1800) was a Khodiyar bhakt (follower of Khodiyar Maa). He paid regular visits to Galdhara(Matel temple as debated in some versions) for her worship. He insisted Khodiyar Maa to come down to Shihor (the then capital of Bhavnagar) from Galdhara temple. Khodiyar Maa agreed to follow him to Bhavnagar provided he does not turn around all the way. To test his faith in Khodiyar Maa's word, at a few kilometers before Shihor, the sound of Mataji's footsteps and her anklets ceased. Atabhai Gohil turns around to see if Mataji is following him and Mataji decides to end her journey. She and her sisters settle at a point now known as Rajpara. Jai Khodiyar

Jay Khodal ...