श्री मेलडी मातानी प्रागट्यनी कथा (उत्पति)
घणा वषोँ पहेलानी आ वात छे जयारे दानवो देवोनी अपार पूजा अने भकित तेमज तप करीने भगवान जोडे वरदान मेळवी शकितशाळी विघाओ प्राप्त करीने पोताने महान समजता अने राक्षसो बहु शकितशाळी बनी जता अने देवताओने परेशान करी मुकता तेवा समयमां देवताओने आघशकित माताना शरणमां आवीने तेमने विनंती करवी पडेली छे. आवा दुष्ट राक्षसोथी अमारी रक्षा करो. जगतमां तमारा जेवी आधशकित माता वगर अमारो कोई उध्धार करी शकवानु नथी. जगतमां तमाराथी कोई मोटु नथी. आम राक्षसोनो संहार करवा माटे आधशकित मां स्वंयम नवदुर्गाओ रूपे आ घरती लोकमां राक्षसोनो संहार पगट करवा बधी नवदुर्गा देवीओ भेगा मळीने देवताओना कहेवा मुजब पृथ्वी लोकोना मनुष्यनो राक्षसोना त्रासथी रक्षा करवा लागया. जेमां एक राक्षस अमरैया दैत्यना त्रासथी छुटकारो अपाववा माटे जयारे नवदुर्गा आ दैत्यने मारवा माटे गया तयारे ए दैत्य घणो शक्तिशाळी हतो. तेणे नवदुर्गा साथे घणा वषोँ सुधी युध्ध कयुँ. छेवटे ते राक्षस थाकीने आ देवीओथी बचवा माटे भागवा मांडयो. भागता भागता तेणे पृथ्वीलोक पर सायला गामना सरोवरमां छुपाई गयो त्यारे नवदुर्गा बहेनोए सरोवरनु पाणी पीवा लाग्या त्यारे आ दैत्य सरोवर पासे एक मरी पडेली गायने जोई तेमा ते छुपाईने बेसी गयो त्यारे छेवटे नवदुर्गाए भेगा मळीने आ अमरैया दैत्यने मारवा माटे एक युकित विचारीने एक शक्तिरूपे देवीने प्रगट करवानुं विचायुँ. ते समये नवदुर्गा भेगा मळीने पोताना शरीरना अंगमांथी मेल उतारीने एक नानी पूतळी बनावीने तेमां प्रथम प्राण पुयाँ अने तेमने दरेक देवीओए पोतानी शक्ति प्रदान करीने तेमने शक्ति रूपे शस्त्र विधा आपीने आ अमरैया दैत्यने मारवा माटे आदेश आप्यो. आम, पूतळीए नवदुर्गाना कहेवा मुजब आ राक्षस जोडे युध्ध कयुँ.
ते वखते तेओ १२ वर्षनी पूतळए अमरैया दैत्यने मारवा माटे नीचे उतर्या हता. ते एक गायना शबमां छुपाइने बेठो हतो त्यारे आ पूतळीए पोतानी शक्ति द्वारा दैत्यने बहार काढीने तेने मारी नाख्यो. त्यार पछी पाछा नवदुर्गा समक्ष आव्या त्यारे तेमने आ प्रभाव जाणवा मळ्यो के तेओ केटला शक्तिशाळी छे. आम, नवदुर्गाओ भेगा मळीने पोताना मेलमांथी पूतळी बनावी अने दरेके तेमनी शक्ति आपीने जे देवीने प्रागट्य कर्या छे अने तेमने पोते युध्ध करीने राक्षसने मारीने आव्या अने नवदुर्गाने पुछ्यु के हवे मारे कयु कार्य करवानु छे त्यारे आवा पापी राक्षसने मारीने आवेल देवीने जोइने तेमणे आ देवीनी अवगणना करीने तेमने दुर जता रहेवा जणाव्यु. ते सांभळीने माताजीने बहु खोटु लाग्यु. तेथी तेओ पोताने शुध्ध करवा स्वयंम् भगवान भोलेनाथनी पासे गया अने तेमणे भोलेनाथने विनंती करीने सघळी हकीकत जणावी के पोते एक राक्षसनो संहार करीने आव्या छे.
जेथी तेमने पोताना शरीरने शुध्ध करवा माटे भोलेनाथने जणाव्यु एटले भोलेनाथे स्वयंम् पोतानी जटामांथी गंगाजीने प्रगट करीने सीधु माताजी ऊपर गंगाजीना शुध्ध जळनी धारा वहेवडावी माताजीने स्नान करावीने पवित्र करी दीधा. त्यारबाद हवे मारू नाम शुं राखवानु छे? त्यारे भोलेनाथे कहयुं के तमे नवदुर्गाने जइने पुछी आवो त्यारे माताजीए जणाव्यु के नवदुर्गाओए मने छोडी दीधी छे. हवे तेओ मने अदवानी ना पाडे छे तेथी मारे शुं करवु. जोइए. त्यारे भगवान भोलेनाथे तेने आर्शीवाद आपता जणाव्यु के तने पोताना नाम अने हक्क माटे नवदुर्गा जोडे युध्ध करचा आदेश कर्यो त्यारे त्रणेय देवताओ भेगा मळीने ब्रह्या, विष्णु अने महेश भगवाने तेमने पोताना शस्त्र रूपे ब्रह्याजीए पोतानी गदा आपी अने विष्णु भगवाने पोतानु चक्र आप्युं. त्यारबाद शंकर भगवाने पोतानु त्रिशुल आप्यु. आम त्रणेय देवोए आशीर्वाद आपीने माताजीने लडवा मोकल्या. तेओ नवदुर्गा जोडे लडीने पोताना नाम अने हक्क माटे स्वयंम लड्या अने तेओ विजयी बनी गया त्यारे तेमनी शक्तिओ सामे नवदुर्गाओने पण झुकवु पड्यु अने आम नवदुर्गानो पराजय थयो. आम माताजी पोताना नाम अने हक्क नाटे नवदुर्गा साथे युध्ध करीने जीती गया. तेथी तेमना पिताजी भोलेनाथे तेमने कह्यु के आजथी तमे तमारा माटे लड्या एटले तमारू नाम “श्री मेलडी माँ” राखवामां आवेल छे.
“मे” “लडी” एटले के हुं पोताना माटे लडी, जेथी तेमनुं नाम “मेलडी माँ” राखवामां आव्युं छे.
जे पोताना नाम माटे नवदुर्गा जोडे लडी शके छे ते पोताना भक्तोने कोइ तकलीफ पडवा दे खरी? अने जो कोइ तकलीफ पडे तो ते लेखने मेख मारीने लडीने तेमने सहाय करे छे. आम, मेलदी माँ पोताना भक्तोने माडे लडीने तेमना दु:ख, दर्द, तकलीफ जे कोइ होय ते दुर करे छे. अने तेनु नाम “मेलडी”
आम, मेलडी माँ तो नानी बाळ स्वरूपे प्रगट्या छे अने तेओ तो फक्त १२ वर्षनी पूतळी रूपे अवतर्या छे. परंतु माँ मेलडीए विकराळ राक्षसोनो संहार करवा माटे तेमने विकराळ स्वरूपे पूज्या छे. तेओने देवताओमां त्रणे देवो ब्रह्याजी, विष्णु भगवान अने शंकर भगवान तेमना पिता गणाय छे. तेमनी माताओ पण त्रणेय देवीओ छे. सरस्वती माता, लक्ष्मीमाता अने पार्वतीमाता गणवामां आवे छे. आम, तेओ पोताना माता-पिताना आर्शीवाद द्वारा आ कळीयुगमां महाशक्ति आधशक्ति मेलडी माँ ना नामे ठेर-ठेर पूजाय छे. देवी कहेवाय छे. आम, कळियुगमां मेलडी मां नी उत्पति थइ जेथी “मेलडी मां” स्वयंम् भोलेनाथना पुत्री तरीके गणाय छे. तेमणे पोतानी जटामांयी तेमना जीवनमां उध्धार करी दीधो. तेमने आशिर्वद आपीने जणाव्युं के आ कळियुगमां उध्धार तमारी पूजा आखो संसार करशे. दरेक जातना‚ दरेक भातना लोको तमने पूजशे. तेमणे वाहन स्वरूपे “बोकडा” ने पसंद कर्यो. तेना पर सवार थइने तमे आखा जगतनो उध्धार करवा प्रगट थया छो. जेथी आखो संसार तमारो जय जयकार करशे. ठेर-ठेर तमारी डेरीओ, मंदिरो अने मोटा मोटा स्थानको बनशे. कळियुगमां तमे जागती ज्योत स्वरूपे पूजाता थशो. दरेक मानवी तमारी भक्ति करीने तमारा गुण-गान चारे कोर फेलावी तमने कळियुगना देवी तरीके पूजाता करशे. महाशक्ति मेलडी मां तरीके पूजाय छे. श्री मेलडी मां ए शंकर भगवाननी जटामांथी नीकळेली गंगाजीनी धाराथी स्नान करेलु तेथी “मेलडी मां” चोख्खा उगतानी मेलडी मां तरीके पूजाय छे. तेओ मेला देवी नथी. जेम तेमना भक्तो पूजे तेम पूजाय छे. आम, कळियुगमां उगतानी देवी तरीके पूजाता थया छे.
घणा वषोँ पहेलानी आ वात छे जयारे दानवो देवोनी अपार पूजा अने भकित तेमज तप करीने भगवान जोडे वरदान मेळवी शकितशाळी विघाओ प्राप्त करीने पोताने महान समजता अने राक्षसो बहु शकितशाळी बनी जता अने देवताओने परेशान करी मुकता तेवा समयमां देवताओने आघशकित माताना शरणमां आवीने तेमने विनंती करवी पडेली छे. आवा दुष्ट राक्षसोथी अमारी रक्षा करो. जगतमां तमारा जेवी आधशकित माता वगर अमारो कोई उध्धार करी शकवानु नथी. जगतमां तमाराथी कोई मोटु नथी. आम राक्षसोनो संहार करवा माटे आधशकित मां स्वंयम नवदुर्गाओ रूपे आ घरती लोकमां राक्षसोनो संहार पगट करवा बधी नवदुर्गा देवीओ भेगा मळीने देवताओना कहेवा मुजब पृथ्वी लोकोना मनुष्यनो राक्षसोना त्रासथी रक्षा करवा लागया. जेमां एक राक्षस अमरैया दैत्यना त्रासथी छुटकारो अपाववा माटे जयारे नवदुर्गा आ दैत्यने मारवा माटे गया तयारे ए दैत्य घणो शक्तिशाळी हतो. तेणे नवदुर्गा साथे घणा वषोँ सुधी युध्ध कयुँ. छेवटे ते राक्षस थाकीने आ देवीओथी बचवा माटे भागवा मांडयो. भागता भागता तेणे पृथ्वीलोक पर सायला गामना सरोवरमां छुपाई गयो त्यारे नवदुर्गा बहेनोए सरोवरनु पाणी पीवा लाग्या त्यारे आ दैत्य सरोवर पासे एक मरी पडेली गायने जोई तेमा ते छुपाईने बेसी गयो त्यारे छेवटे नवदुर्गाए भेगा मळीने आ अमरैया दैत्यने मारवा माटे एक युकित विचारीने एक शक्तिरूपे देवीने प्रगट करवानुं विचायुँ. ते समये नवदुर्गा भेगा मळीने पोताना शरीरना अंगमांथी मेल उतारीने एक नानी पूतळी बनावीने तेमां प्रथम प्राण पुयाँ अने तेमने दरेक देवीओए पोतानी शक्ति प्रदान करीने तेमने शक्ति रूपे शस्त्र विधा आपीने आ अमरैया दैत्यने मारवा माटे आदेश आप्यो. आम, पूतळीए नवदुर्गाना कहेवा मुजब आ राक्षस जोडे युध्ध कयुँ.
ते वखते तेओ १२ वर्षनी पूतळए अमरैया दैत्यने मारवा माटे नीचे उतर्या हता. ते एक गायना शबमां छुपाइने बेठो हतो त्यारे आ पूतळीए पोतानी शक्ति द्वारा दैत्यने बहार काढीने तेने मारी नाख्यो. त्यार पछी पाछा नवदुर्गा समक्ष आव्या त्यारे तेमने आ प्रभाव जाणवा मळ्यो के तेओ केटला शक्तिशाळी छे. आम, नवदुर्गाओ भेगा मळीने पोताना मेलमांथी पूतळी बनावी अने दरेके तेमनी शक्ति आपीने जे देवीने प्रागट्य कर्या छे अने तेमने पोते युध्ध करीने राक्षसने मारीने आव्या अने नवदुर्गाने पुछ्यु के हवे मारे कयु कार्य करवानु छे त्यारे आवा पापी राक्षसने मारीने आवेल देवीने जोइने तेमणे आ देवीनी अवगणना करीने तेमने दुर जता रहेवा जणाव्यु. ते सांभळीने माताजीने बहु खोटु लाग्यु. तेथी तेओ पोताने शुध्ध करवा स्वयंम् भगवान भोलेनाथनी पासे गया अने तेमणे भोलेनाथने विनंती करीने सघळी हकीकत जणावी के पोते एक राक्षसनो संहार करीने आव्या छे.
जेथी तेमने पोताना शरीरने शुध्ध करवा माटे भोलेनाथने जणाव्यु एटले भोलेनाथे स्वयंम् पोतानी जटामांथी गंगाजीने प्रगट करीने सीधु माताजी ऊपर गंगाजीना शुध्ध जळनी धारा वहेवडावी माताजीने स्नान करावीने पवित्र करी दीधा. त्यारबाद हवे मारू नाम शुं राखवानु छे? त्यारे भोलेनाथे कहयुं के तमे नवदुर्गाने जइने पुछी आवो त्यारे माताजीए जणाव्यु के नवदुर्गाओए मने छोडी दीधी छे. हवे तेओ मने अदवानी ना पाडे छे तेथी मारे शुं करवु. जोइए. त्यारे भगवान भोलेनाथे तेने आर्शीवाद आपता जणाव्यु के तने पोताना नाम अने हक्क माटे नवदुर्गा जोडे युध्ध करचा आदेश कर्यो त्यारे त्रणेय देवताओ भेगा मळीने ब्रह्या, विष्णु अने महेश भगवाने तेमने पोताना शस्त्र रूपे ब्रह्याजीए पोतानी गदा आपी अने विष्णु भगवाने पोतानु चक्र आप्युं. त्यारबाद शंकर भगवाने पोतानु त्रिशुल आप्यु. आम त्रणेय देवोए आशीर्वाद आपीने माताजीने लडवा मोकल्या. तेओ नवदुर्गा जोडे लडीने पोताना नाम अने हक्क माटे स्वयंम लड्या अने तेओ विजयी बनी गया त्यारे तेमनी शक्तिओ सामे नवदुर्गाओने पण झुकवु पड्यु अने आम नवदुर्गानो पराजय थयो. आम माताजी पोताना नाम अने हक्क नाटे नवदुर्गा साथे युध्ध करीने जीती गया. तेथी तेमना पिताजी भोलेनाथे तेमने कह्यु के आजथी तमे तमारा माटे लड्या एटले तमारू नाम “श्री मेलडी माँ” राखवामां आवेल छे.
“मे” “लडी” एटले के हुं पोताना माटे लडी, जेथी तेमनुं नाम “मेलडी माँ” राखवामां आव्युं छे.
जे पोताना नाम माटे नवदुर्गा जोडे लडी शके छे ते पोताना भक्तोने कोइ तकलीफ पडवा दे खरी? अने जो कोइ तकलीफ पडे तो ते लेखने मेख मारीने लडीने तेमने सहाय करे छे. आम, मेलदी माँ पोताना भक्तोने माडे लडीने तेमना दु:ख, दर्द, तकलीफ जे कोइ होय ते दुर करे छे. अने तेनु नाम “मेलडी”
आम, मेलडी माँ तो नानी बाळ स्वरूपे प्रगट्या छे अने तेओ तो फक्त १२ वर्षनी पूतळी रूपे अवतर्या छे. परंतु माँ मेलडीए विकराळ राक्षसोनो संहार करवा माटे तेमने विकराळ स्वरूपे पूज्या छे. तेओने देवताओमां त्रणे देवो ब्रह्याजी, विष्णु भगवान अने शंकर भगवान तेमना पिता गणाय छे. तेमनी माताओ पण त्रणेय देवीओ छे. सरस्वती माता, लक्ष्मीमाता अने पार्वतीमाता गणवामां आवे छे. आम, तेओ पोताना माता-पिताना आर्शीवाद द्वारा आ कळीयुगमां महाशक्ति आधशक्ति मेलडी माँ ना नामे ठेर-ठेर पूजाय छे. देवी कहेवाय छे. आम, कळियुगमां मेलडी मां नी उत्पति थइ जेथी “मेलडी मां” स्वयंम् भोलेनाथना पुत्री तरीके गणाय छे. तेमणे पोतानी जटामांयी तेमना जीवनमां उध्धार करी दीधो. तेमने आशिर्वद आपीने जणाव्युं के आ कळियुगमां उध्धार तमारी पूजा आखो संसार करशे. दरेक जातना‚ दरेक भातना लोको तमने पूजशे. तेमणे वाहन स्वरूपे “बोकडा” ने पसंद कर्यो. तेना पर सवार थइने तमे आखा जगतनो उध्धार करवा प्रगट थया छो. जेथी आखो संसार तमारो जय जयकार करशे. ठेर-ठेर तमारी डेरीओ, मंदिरो अने मोटा मोटा स्थानको बनशे. कळियुगमां तमे जागती ज्योत स्वरूपे पूजाता थशो. दरेक मानवी तमारी भक्ति करीने तमारा गुण-गान चारे कोर फेलावी तमने कळियुगना देवी तरीके पूजाता करशे. महाशक्ति मेलडी मां तरीके पूजाय छे. श्री मेलडी मां ए शंकर भगवाननी जटामांथी नीकळेली गंगाजीनी धाराथी स्नान करेलु तेथी “मेलडी मां” चोख्खा उगतानी मेलडी मां तरीके पूजाय छे. तेओ मेला देवी नथी. जेम तेमना भक्तो पूजे तेम पूजाय छे. आम, कळियुगमां उगतानी देवी तरीके पूजाता थया छे.