धार्मिक प्रागट्य कथाओ
Tuesday, 2 May 2017
Saturday, 29 April 2017
श्री मेलडी मातानी प्रागट्यनी कथा (उत्पति)
श्री मेलडी मातानी प्रागट्यनी कथा (उत्पति)
घणा वषोँ पहेलानी आ वात छे जयारे दानवो देवोनी अपार पूजा अने भकित तेमज तप करीने भगवान जोडे वरदान मेळवी शकितशाळी विघाओ प्राप्त करीने पोताने महान समजता अने राक्षसो बहु शकितशाळी बनी जता अने देवताओने परेशान करी मुकता तेवा समयमां देवताओने आघशकित माताना शरणमां आवीने तेमने विनंती करवी पडेली छे. आवा दुष्ट राक्षसोथी अमारी रक्षा करो. जगतमां तमारा जेवी आधशकित माता वगर अमारो कोई उध्धार करी शकवानु नथी. जगतमां तमाराथी कोई मोटु नथी. आम राक्षसोनो संहार करवा माटे आधशकित मां स्वंयम नवदुर्गाओ रूपे आ घरती लोकमां राक्षसोनो संहार पगट करवा बधी नवदुर्गा देवीओ भेगा मळीने देवताओना कहेवा मुजब पृथ्वी लोकोना मनुष्यनो राक्षसोना त्रासथी रक्षा करवा लागया. जेमां एक राक्षस अमरैया दैत्यना त्रासथी छुटकारो अपाववा माटे जयारे नवदुर्गा आ दैत्यने मारवा माटे गया तयारे ए दैत्य घणो शक्तिशाळी हतो. तेणे नवदुर्गा साथे घणा वषोँ सुधी युध्ध कयुँ. छेवटे ते राक्षस थाकीने आ देवीओथी बचवा माटे भागवा मांडयो. भागता भागता तेणे पृथ्वीलोक पर सायला गामना सरोवरमां छुपाई गयो त्यारे नवदुर्गा बहेनोए सरोवरनु पाणी पीवा लाग्या त्यारे आ दैत्य सरोवर पासे एक मरी पडेली गायने जोई तेमा ते छुपाईने बेसी गयो त्यारे छेवटे नवदुर्गाए भेगा मळीने आ अमरैया दैत्यने मारवा माटे एक युकित विचारीने एक शक्तिरूपे देवीने प्रगट करवानुं विचायुँ. ते समये नवदुर्गा भेगा मळीने पोताना शरीरना अंगमांथी मेल उतारीने एक नानी पूतळी बनावीने तेमां प्रथम प्राण पुयाँ अने तेमने दरेक देवीओए पोतानी शक्ति प्रदान करीने तेमने शक्ति रूपे शस्त्र विधा आपीने आ अमरैया दैत्यने मारवा माटे आदेश आप्यो. आम, पूतळीए नवदुर्गाना कहेवा मुजब आ राक्षस जोडे युध्ध कयुँ.
ते वखते तेओ १२ वर्षनी पूतळए अमरैया दैत्यने मारवा माटे नीचे उतर्या हता. ते एक गायना शबमां छुपाइने बेठो हतो त्यारे आ पूतळीए पोतानी शक्ति द्वारा दैत्यने बहार काढीने तेने मारी नाख्यो. त्यार पछी पाछा नवदुर्गा समक्ष आव्या त्यारे तेमने आ प्रभाव जाणवा मळ्यो के तेओ केटला शक्तिशाळी छे. आम, नवदुर्गाओ भेगा मळीने पोताना मेलमांथी पूतळी बनावी अने दरेके तेमनी शक्ति आपीने जे देवीने प्रागट्य कर्या छे अने तेमने पोते युध्ध करीने राक्षसने मारीने आव्या अने नवदुर्गाने पुछ्यु के हवे मारे कयु कार्य करवानु छे त्यारे आवा पापी राक्षसने मारीने आवेल देवीने जोइने तेमणे आ देवीनी अवगणना करीने तेमने दुर जता रहेवा जणाव्यु. ते सांभळीने माताजीने बहु खोटु लाग्यु. तेथी तेओ पोताने शुध्ध करवा स्वयंम् भगवान भोलेनाथनी पासे गया अने तेमणे भोलेनाथने विनंती करीने सघळी हकीकत जणावी के पोते एक राक्षसनो संहार करीने आव्या छे.
जेथी तेमने पोताना शरीरने शुध्ध करवा माटे भोलेनाथने जणाव्यु एटले भोलेनाथे स्वयंम् पोतानी जटामांथी गंगाजीने प्रगट करीने सीधु माताजी ऊपर गंगाजीना शुध्ध जळनी धारा वहेवडावी माताजीने स्नान करावीने पवित्र करी दीधा. त्यारबाद हवे मारू नाम शुं राखवानु छे? त्यारे भोलेनाथे कहयुं के तमे नवदुर्गाने जइने पुछी आवो त्यारे माताजीए जणाव्यु के नवदुर्गाओए मने छोडी दीधी छे. हवे तेओ मने अदवानी ना पाडे छे तेथी मारे शुं करवु. जोइए. त्यारे भगवान भोलेनाथे तेने आर्शीवाद आपता जणाव्यु के तने पोताना नाम अने हक्क माटे नवदुर्गा जोडे युध्ध करचा आदेश कर्यो त्यारे त्रणेय देवताओ भेगा मळीने ब्रह्या, विष्णु अने महेश भगवाने तेमने पोताना शस्त्र रूपे ब्रह्याजीए पोतानी गदा आपी अने विष्णु भगवाने पोतानु चक्र आप्युं. त्यारबाद शंकर भगवाने पोतानु त्रिशुल आप्यु. आम त्रणेय देवोए आशीर्वाद आपीने माताजीने लडवा मोकल्या. तेओ नवदुर्गा जोडे लडीने पोताना नाम अने हक्क माटे स्वयंम लड्या अने तेओ विजयी बनी गया त्यारे तेमनी शक्तिओ सामे नवदुर्गाओने पण झुकवु पड्यु अने आम नवदुर्गानो पराजय थयो. आम माताजी पोताना नाम अने हक्क नाटे नवदुर्गा साथे युध्ध करीने जीती गया. तेथी तेमना पिताजी भोलेनाथे तेमने कह्यु के आजथी तमे तमारा माटे लड्या एटले तमारू नाम “श्री मेलडी माँ” राखवामां आवेल छे.
“मे” “लडी” एटले के हुं पोताना माटे लडी, जेथी तेमनुं नाम “मेलडी माँ” राखवामां आव्युं छे.
जे पोताना नाम माटे नवदुर्गा जोडे लडी शके छे ते पोताना भक्तोने कोइ तकलीफ पडवा दे खरी? अने जो कोइ तकलीफ पडे तो ते लेखने मेख मारीने लडीने तेमने सहाय करे छे. आम, मेलदी माँ पोताना भक्तोने माडे लडीने तेमना दु:ख, दर्द, तकलीफ जे कोइ होय ते दुर करे छे. अने तेनु नाम “मेलडी”
आम, मेलडी माँ तो नानी बाळ स्वरूपे प्रगट्या छे अने तेओ तो फक्त १२ वर्षनी पूतळी रूपे अवतर्या छे. परंतु माँ मेलडीए विकराळ राक्षसोनो संहार करवा माटे तेमने विकराळ स्वरूपे पूज्या छे. तेओने देवताओमां त्रणे देवो ब्रह्याजी, विष्णु भगवान अने शंकर भगवान तेमना पिता गणाय छे. तेमनी माताओ पण त्रणेय देवीओ छे. सरस्वती माता, लक्ष्मीमाता अने पार्वतीमाता गणवामां आवे छे. आम, तेओ पोताना माता-पिताना आर्शीवाद द्वारा आ कळीयुगमां महाशक्ति आधशक्ति मेलडी माँ ना नामे ठेर-ठेर पूजाय छे. देवी कहेवाय छे. आम, कळियुगमां मेलडी मां नी उत्पति थइ जेथी “मेलडी मां” स्वयंम् भोलेनाथना पुत्री तरीके गणाय छे. तेमणे पोतानी जटामांयी तेमना जीवनमां उध्धार करी दीधो. तेमने आशिर्वद आपीने जणाव्युं के आ कळियुगमां उध्धार तमारी पूजा आखो संसार करशे. दरेक जातना‚ दरेक भातना लोको तमने पूजशे. तेमणे वाहन स्वरूपे “बोकडा” ने पसंद कर्यो. तेना पर सवार थइने तमे आखा जगतनो उध्धार करवा प्रगट थया छो. जेथी आखो संसार तमारो जय जयकार करशे. ठेर-ठेर तमारी डेरीओ, मंदिरो अने मोटा मोटा स्थानको बनशे. कळियुगमां तमे जागती ज्योत स्वरूपे पूजाता थशो. दरेक मानवी तमारी भक्ति करीने तमारा गुण-गान चारे कोर फेलावी तमने कळियुगना देवी तरीके पूजाता करशे. महाशक्ति मेलडी मां तरीके पूजाय छे. श्री मेलडी मां ए शंकर भगवाननी जटामांथी नीकळेली गंगाजीनी धाराथी स्नान करेलु तेथी “मेलडी मां” चोख्खा उगतानी मेलडी मां तरीके पूजाय छे. तेओ मेला देवी नथी. जेम तेमना भक्तो पूजे तेम पूजाय छे. आम, कळियुगमां उगतानी देवी तरीके पूजाता थया छे.
घणा वषोँ पहेलानी आ वात छे जयारे दानवो देवोनी अपार पूजा अने भकित तेमज तप करीने भगवान जोडे वरदान मेळवी शकितशाळी विघाओ प्राप्त करीने पोताने महान समजता अने राक्षसो बहु शकितशाळी बनी जता अने देवताओने परेशान करी मुकता तेवा समयमां देवताओने आघशकित माताना शरणमां आवीने तेमने विनंती करवी पडेली छे. आवा दुष्ट राक्षसोथी अमारी रक्षा करो. जगतमां तमारा जेवी आधशकित माता वगर अमारो कोई उध्धार करी शकवानु नथी. जगतमां तमाराथी कोई मोटु नथी. आम राक्षसोनो संहार करवा माटे आधशकित मां स्वंयम नवदुर्गाओ रूपे आ घरती लोकमां राक्षसोनो संहार पगट करवा बधी नवदुर्गा देवीओ भेगा मळीने देवताओना कहेवा मुजब पृथ्वी लोकोना मनुष्यनो राक्षसोना त्रासथी रक्षा करवा लागया. जेमां एक राक्षस अमरैया दैत्यना त्रासथी छुटकारो अपाववा माटे जयारे नवदुर्गा आ दैत्यने मारवा माटे गया तयारे ए दैत्य घणो शक्तिशाळी हतो. तेणे नवदुर्गा साथे घणा वषोँ सुधी युध्ध कयुँ. छेवटे ते राक्षस थाकीने आ देवीओथी बचवा माटे भागवा मांडयो. भागता भागता तेणे पृथ्वीलोक पर सायला गामना सरोवरमां छुपाई गयो त्यारे नवदुर्गा बहेनोए सरोवरनु पाणी पीवा लाग्या त्यारे आ दैत्य सरोवर पासे एक मरी पडेली गायने जोई तेमा ते छुपाईने बेसी गयो त्यारे छेवटे नवदुर्गाए भेगा मळीने आ अमरैया दैत्यने मारवा माटे एक युकित विचारीने एक शक्तिरूपे देवीने प्रगट करवानुं विचायुँ. ते समये नवदुर्गा भेगा मळीने पोताना शरीरना अंगमांथी मेल उतारीने एक नानी पूतळी बनावीने तेमां प्रथम प्राण पुयाँ अने तेमने दरेक देवीओए पोतानी शक्ति प्रदान करीने तेमने शक्ति रूपे शस्त्र विधा आपीने आ अमरैया दैत्यने मारवा माटे आदेश आप्यो. आम, पूतळीए नवदुर्गाना कहेवा मुजब आ राक्षस जोडे युध्ध कयुँ.
ते वखते तेओ १२ वर्षनी पूतळए अमरैया दैत्यने मारवा माटे नीचे उतर्या हता. ते एक गायना शबमां छुपाइने बेठो हतो त्यारे आ पूतळीए पोतानी शक्ति द्वारा दैत्यने बहार काढीने तेने मारी नाख्यो. त्यार पछी पाछा नवदुर्गा समक्ष आव्या त्यारे तेमने आ प्रभाव जाणवा मळ्यो के तेओ केटला शक्तिशाळी छे. आम, नवदुर्गाओ भेगा मळीने पोताना मेलमांथी पूतळी बनावी अने दरेके तेमनी शक्ति आपीने जे देवीने प्रागट्य कर्या छे अने तेमने पोते युध्ध करीने राक्षसने मारीने आव्या अने नवदुर्गाने पुछ्यु के हवे मारे कयु कार्य करवानु छे त्यारे आवा पापी राक्षसने मारीने आवेल देवीने जोइने तेमणे आ देवीनी अवगणना करीने तेमने दुर जता रहेवा जणाव्यु. ते सांभळीने माताजीने बहु खोटु लाग्यु. तेथी तेओ पोताने शुध्ध करवा स्वयंम् भगवान भोलेनाथनी पासे गया अने तेमणे भोलेनाथने विनंती करीने सघळी हकीकत जणावी के पोते एक राक्षसनो संहार करीने आव्या छे.
जेथी तेमने पोताना शरीरने शुध्ध करवा माटे भोलेनाथने जणाव्यु एटले भोलेनाथे स्वयंम् पोतानी जटामांथी गंगाजीने प्रगट करीने सीधु माताजी ऊपर गंगाजीना शुध्ध जळनी धारा वहेवडावी माताजीने स्नान करावीने पवित्र करी दीधा. त्यारबाद हवे मारू नाम शुं राखवानु छे? त्यारे भोलेनाथे कहयुं के तमे नवदुर्गाने जइने पुछी आवो त्यारे माताजीए जणाव्यु के नवदुर्गाओए मने छोडी दीधी छे. हवे तेओ मने अदवानी ना पाडे छे तेथी मारे शुं करवु. जोइए. त्यारे भगवान भोलेनाथे तेने आर्शीवाद आपता जणाव्यु के तने पोताना नाम अने हक्क माटे नवदुर्गा जोडे युध्ध करचा आदेश कर्यो त्यारे त्रणेय देवताओ भेगा मळीने ब्रह्या, विष्णु अने महेश भगवाने तेमने पोताना शस्त्र रूपे ब्रह्याजीए पोतानी गदा आपी अने विष्णु भगवाने पोतानु चक्र आप्युं. त्यारबाद शंकर भगवाने पोतानु त्रिशुल आप्यु. आम त्रणेय देवोए आशीर्वाद आपीने माताजीने लडवा मोकल्या. तेओ नवदुर्गा जोडे लडीने पोताना नाम अने हक्क माटे स्वयंम लड्या अने तेओ विजयी बनी गया त्यारे तेमनी शक्तिओ सामे नवदुर्गाओने पण झुकवु पड्यु अने आम नवदुर्गानो पराजय थयो. आम माताजी पोताना नाम अने हक्क नाटे नवदुर्गा साथे युध्ध करीने जीती गया. तेथी तेमना पिताजी भोलेनाथे तेमने कह्यु के आजथी तमे तमारा माटे लड्या एटले तमारू नाम “श्री मेलडी माँ” राखवामां आवेल छे.
“मे” “लडी” एटले के हुं पोताना माटे लडी, जेथी तेमनुं नाम “मेलडी माँ” राखवामां आव्युं छे.
जे पोताना नाम माटे नवदुर्गा जोडे लडी शके छे ते पोताना भक्तोने कोइ तकलीफ पडवा दे खरी? अने जो कोइ तकलीफ पडे तो ते लेखने मेख मारीने लडीने तेमने सहाय करे छे. आम, मेलदी माँ पोताना भक्तोने माडे लडीने तेमना दु:ख, दर्द, तकलीफ जे कोइ होय ते दुर करे छे. अने तेनु नाम “मेलडी”
आम, मेलडी माँ तो नानी बाळ स्वरूपे प्रगट्या छे अने तेओ तो फक्त १२ वर्षनी पूतळी रूपे अवतर्या छे. परंतु माँ मेलडीए विकराळ राक्षसोनो संहार करवा माटे तेमने विकराळ स्वरूपे पूज्या छे. तेओने देवताओमां त्रणे देवो ब्रह्याजी, विष्णु भगवान अने शंकर भगवान तेमना पिता गणाय छे. तेमनी माताओ पण त्रणेय देवीओ छे. सरस्वती माता, लक्ष्मीमाता अने पार्वतीमाता गणवामां आवे छे. आम, तेओ पोताना माता-पिताना आर्शीवाद द्वारा आ कळीयुगमां महाशक्ति आधशक्ति मेलडी माँ ना नामे ठेर-ठेर पूजाय छे. देवी कहेवाय छे. आम, कळियुगमां मेलडी मां नी उत्पति थइ जेथी “मेलडी मां” स्वयंम् भोलेनाथना पुत्री तरीके गणाय छे. तेमणे पोतानी जटामांयी तेमना जीवनमां उध्धार करी दीधो. तेमने आशिर्वद आपीने जणाव्युं के आ कळियुगमां उध्धार तमारी पूजा आखो संसार करशे. दरेक जातना‚ दरेक भातना लोको तमने पूजशे. तेमणे वाहन स्वरूपे “बोकडा” ने पसंद कर्यो. तेना पर सवार थइने तमे आखा जगतनो उध्धार करवा प्रगट थया छो. जेथी आखो संसार तमारो जय जयकार करशे. ठेर-ठेर तमारी डेरीओ, मंदिरो अने मोटा मोटा स्थानको बनशे. कळियुगमां तमे जागती ज्योत स्वरूपे पूजाता थशो. दरेक मानवी तमारी भक्ति करीने तमारा गुण-गान चारे कोर फेलावी तमने कळियुगना देवी तरीके पूजाता करशे. महाशक्ति मेलडी मां तरीके पूजाय छे. श्री मेलडी मां ए शंकर भगवाननी जटामांथी नीकळेली गंगाजीनी धाराथी स्नान करेलु तेथी “मेलडी मां” चोख्खा उगतानी मेलडी मां तरीके पूजाय छे. तेओ मेला देवी नथी. जेम तेमना भक्तो पूजे तेम पूजाय छे. आम, कळियुगमां उगतानी देवी तरीके पूजाता थया छे.
Thursday, 27 April 2017
गुजरातना खेडा ज्यां मां मेलडीना दरबारमां हाथोथी तळाय छे पूडी
गुजरातना खेडा ज्यां मां मेलडीना दरबारमां हाथोथी तळाय छे पूडी
गरम-गरम तेलमां भक्त नाखे छे पूडी अने पछी तेने कोई कडछीथी नही पण काढे छे हाथ थी.
21 दिवसमां करे छे दरेक ईच्छा पूरी ....
गरम-गरम तेलमां भक्त नाखे छे पूडी अने पछी तेने कोई कडछीथी नही पण काढे छे हाथ थी.
21 दिवसमां करे छे दरेक ईच्छा पूरी ....
श्री मेलडी माडी वस्तुत: युद्धनी देवी छे. ज्यारे देव शक्तिया मायावी देत्योथी हारवा लागी किंकर्तव्यविमूढ थई गयी त्यारे एमनुं प्रागटय थयुं. तेणे पहेला दुष्ट देत्योथी युद्ध करी तेनुं संहार कर्युं . पछी कामरू जईने कामाख्यानी दुष्ट शक्तियोथी युद्ध कर्युं. तेणे पराजित कर्युं आथी तेणे युद्ध अने शस्त्र प्रिय छे क्यारे एणे क्रोध आवे छे तो एना दांत लोखंडनी जेम कठोर थई जाय छे. एना मेत्रोमांथी आग बरसे छे. एनुं वर्ण क्रोधावाशमां काळुं थई जाय छे. ते समते तेणे शत्रु ना संहार सिवाय बीजुं कांई नही सूझाय छे. दुष्टो माटे आ कालरूपणी ज छे.
श्री मेलडी माडी सौम्य रूपमां होय छे.त्यारे एनुं स्वभाव पांच वर्षनी कन्या जेवो होय छे. पांच वर्षनी कन्याने शुं जोईए ? तेनी ईच्छाना अनूकूळ तेमनी प्रिय वस्तुए तेने भेंट करता तो तेनी दरेक ईच्छाना अनूकूळ चालता रहो तो ते प्रसन्न थई जाय छे. ते ज रीते माडीने जे प्रिय छे तेनी ईच्छा मुजब आचरण अने तेमनी सेवा करता रहो तो प्रसन्न थई जाय छे. मां मेलडीने भाव प्रिय भावथी श्रद्धाथी मां कहीने तेमनी प्रार्थना करो तो तेमनी दरेक अमृतमयी कृपानो अनुभव जीवनने
धन्य करे छे . तेणे कोई वस्तु आपवानो वादो करो तेणे पूरो करो. कारण के तमारुं वक हन एनुं अधिकार छे अने माता पोतानुं अधिकार मूकती नथी. आथी माडीना बनी जवुं वधारे श्रेयस्कर छे. आखा ब्रह्मांडमां मां मेलडी जेवी कोई दाता नही अने मां मेलडी जेवी कोई माता नही.
श्री मेलडी माडी सौम्य रूपमां होय छे.त्यारे एनुं स्वभाव पांच वर्षनी कन्या जेवो होय छे. पांच वर्षनी कन्याने शुं जोईए ? तेनी ईच्छाना अनूकूळ तेमनी प्रिय वस्तुए तेने भेंट करता तो तेनी दरेक ईच्छाना अनूकूळ चालता रहो तो ते प्रसन्न थई जाय छे. ते ज रीते माडीने जे प्रिय छे तेनी ईच्छा मुजब आचरण अने तेमनी सेवा करता रहो तो प्रसन्न थई जाय छे. मां मेलडीने भाव प्रिय भावथी श्रद्धाथी मां कहीने तेमनी प्रार्थना करो तो तेमनी दरेक अमृतमयी कृपानो अनुभव जीवनने
धन्य करे छे . तेणे कोई वस्तु आपवानो वादो करो तेणे पूरो करो. कारण के तमारुं वक हन एनुं अधिकार छे अने माता पोतानुं अधिकार मूकती नथी. आथी माडीना बनी जवुं वधारे श्रेयस्कर छे. आखा ब्रह्मांडमां मां मेलडी जेवी कोई दाता नही अने मां मेलडी जेवी कोई माता नही.
Wednesday, 26 April 2017
खोडियार मंदिर - राजपरा (गुजरात)
खोडियार मंदिर - राजपरा (गुजरात)
खोडियार माताजीनुं राजपरा मंदिर भारत देशनां पश्चिमे आवेला गुजरात राज्यनां भावनगर जिल्ला नां सिहोर तालुकानां राजपरा (खोडियार) गामे आवेल छे. जे भावनगर थी १५ कि.मी. तथा सिहोर थी ४ कि.मी. नां अंतरे भावनगर-राजकोट हाइवे उपर आ खोडियार माताजीनुं मंदिर आवेलुं छे. आ मंदिरनी सामे ज पाणीनो धरो आवेलो छे. जे तांतणीया धरा तरीके प्रख्यात छे. जेथी आ मंदिर तांतणिया धरावाळा खोडियार अथवा राजपरावाळा खोडियार तरीके भारत भरमां प्रख्यात छे. आ मंदिर चोतरफ कुदरती सौंदर्य वच्चे धेरायेलुं रमणीय धार्मिक स्थळ छे. भावनगर नो राजवी परिवार कुळदेवी तरीके खोडियार माताजीने पुजे छे. राजपरानुं आ खोडियार मंदिर सौ प्रथम आताभाई गोहिल ए बंधाव्यु हतुं. त्यार बाद ई.स.१९१४नी आसपास भावनगर नां राजवी भावसिंहजी गोहिल ए आ मंदिरनुं समारकाम करावीने तेमां सुधारा कर्या हतां. अहीं आई श्री खोडियार माताजीने सोनानुं छत्र (सतर) भावसिंहजीए चडाव्यु हतुं. कहेवाय छेके तांतणिया धरावाळा स्थळे माता खोडीयार प्रगट थयां हतां. माइभकतो दर रविवारे अने मंगळवारे आ शकितपीठ जेवा ज तीर्थधामे आवी माताजीनी कृपा मेळववा पूजन-अर्चन पाठ-विधि करे छे.
भावनगर नां गोहिल वंशना प्रजावत्सल राजवी पोताना वंशना कुळदेवी खोडियार मातानुं स्थापन राजधानीमां करवा इरछुक हता. जेथी आ राजवीए राजपरा नजीक खोडियार माताजीने भावनगर आवा प्रसन्न कर्या हतां. माताजीए प्रसन्न थईने शरत राखी के हुं तारी पाछळ-पाछळ आवीश पण तारे पाछुं वळीने जोवुं नहीं. जेथी महाराजा आगळ-आगळ अने पाछळ आ भकतवत्सल माताजी चालता हतां. आम राजानी साथे आवेलो रसालो हालना भावनगर बाजु आगळ ने आगळ चाल्यो जतो हतो, पण वरतेज आव्युं त्यारे महाराजाना मनमां संशय जाग्यो के खोडियार माता पाछळ आवे छे के नहीं ? आ प्रश्नना निराकरण माटे शंका वधु ने वधु गाढ थतां आखरे महाराजाए पाछुं वळीने जोयुं. बस खल्लास, आ ज स्थळे माताजी समाई गयां. आ स्थळे माताजीनुं स्थानक थयुं ते आजे वरतेज नजीकनुं सुप्रसिद्ध नानी खोडियार मंदिर. राजपरा मंदिर नारी चोकडीथी ९ किलोमिटरनां अंतरे आवेल छे, परंतुं मोटाभागना लोको त्यांथी चालीने जवुं पसंद करे छे अने राजपरा खोडियार मंदिर तरफ भावनगर थी चालीने जतां दरेक माइभकतो नानी खोडियार मंदिरे पण अचूक दर्शन करे छे.
आम राजपरा खोडियार मंदिर ए माताजीनुं प्रागटय स्थान समुं मोटुं तीर्थ छे, अने नानी खोडियार मंदिर ए माताजी जयां समाया ते स्थानक छे. आ स्थळ हरवा-फरवा, उजवणीना स्थळ तरीके जाणीतुं छे. अहीं आववा भावनगर थी दर रविवारे सिटी बसनी खास व्यवस्था आखो दिवस होय छे. खोडियार मंदिरनी बाजुमां ज तांतणीयो धरो नामनुं तळाव आवेलुं छे थोडे दुर आवेला राजपरा बंधनुं बांधकाम १९३०थी १९३प दरमियान रू. ३,३८,०४५ खर्चे भावनगरना राजवी परिवारे कराव्युं हतुं. खोडियार मंदिर नजीकनी डुंगरमाळामांथी उरच कक्षाना पथ्थरो मळी आवे छे. आ यात्राधामे दर भादरवी अमासे बहोळी संख्यामां राजय अने राजय बहारथी प्रवासीओ आवे छे. भावनगर (शहेर), सिहोर, वरतेज जेवां स्थळोएथी दर शनिवारनी मोडी रात्रे मोटी संख्यामां पगपाळा यात्रिकोनो बहोळो समुदाय खोडियार मंदिर भणी वहेतो होय छे. अहीं मंदिरथी हाईवे सुधी अनेक दुकानो आवेली छे. जे दुकानो अहींनां गामनां लोकोनुं आजीविकानुं एक साधन बनी रही छे. आ धार्मिक स्थळ रेलवे तथा एस.टी.नी सेवाथी जोडायेलुं छे.
खोडियार माताजीनुं राजपरा मंदिर भारत देशनां पश्चिमे आवेला गुजरात राज्यनां भावनगर जिल्ला नां सिहोर तालुकानां राजपरा (खोडियार) गामे आवेल छे. जे भावनगर थी १५ कि.मी. तथा सिहोर थी ४ कि.मी. नां अंतरे भावनगर-राजकोट हाइवे उपर आ खोडियार माताजीनुं मंदिर आवेलुं छे. आ मंदिरनी सामे ज पाणीनो धरो आवेलो छे. जे तांतणीया धरा तरीके प्रख्यात छे. जेथी आ मंदिर तांतणिया धरावाळा खोडियार अथवा राजपरावाळा खोडियार तरीके भारत भरमां प्रख्यात छे. आ मंदिर चोतरफ कुदरती सौंदर्य वच्चे धेरायेलुं रमणीय धार्मिक स्थळ छे. भावनगर नो राजवी परिवार कुळदेवी तरीके खोडियार माताजीने पुजे छे. राजपरानुं आ खोडियार मंदिर सौ प्रथम आताभाई गोहिल ए बंधाव्यु हतुं. त्यार बाद ई.स.१९१४नी आसपास भावनगर नां राजवी भावसिंहजी गोहिल ए आ मंदिरनुं समारकाम करावीने तेमां सुधारा कर्या हतां. अहीं आई श्री खोडियार माताजीने सोनानुं छत्र (सतर) भावसिंहजीए चडाव्यु हतुं. कहेवाय छेके तांतणिया धरावाळा स्थळे माता खोडीयार प्रगट थयां हतां. माइभकतो दर रविवारे अने मंगळवारे आ शकितपीठ जेवा ज तीर्थधामे आवी माताजीनी कृपा मेळववा पूजन-अर्चन पाठ-विधि करे छे.
भावनगर नां गोहिल वंशना प्रजावत्सल राजवी पोताना वंशना कुळदेवी खोडियार मातानुं स्थापन राजधानीमां करवा इरछुक हता. जेथी आ राजवीए राजपरा नजीक खोडियार माताजीने भावनगर आवा प्रसन्न कर्या हतां. माताजीए प्रसन्न थईने शरत राखी के हुं तारी पाछळ-पाछळ आवीश पण तारे पाछुं वळीने जोवुं नहीं. जेथी महाराजा आगळ-आगळ अने पाछळ आ भकतवत्सल माताजी चालता हतां. आम राजानी साथे आवेलो रसालो हालना भावनगर बाजु आगळ ने आगळ चाल्यो जतो हतो, पण वरतेज आव्युं त्यारे महाराजाना मनमां संशय जाग्यो के खोडियार माता पाछळ आवे छे के नहीं ? आ प्रश्नना निराकरण माटे शंका वधु ने वधु गाढ थतां आखरे महाराजाए पाछुं वळीने जोयुं. बस खल्लास, आ ज स्थळे माताजी समाई गयां. आ स्थळे माताजीनुं स्थानक थयुं ते आजे वरतेज नजीकनुं सुप्रसिद्ध नानी खोडियार मंदिर. राजपरा मंदिर नारी चोकडीथी ९ किलोमिटरनां अंतरे आवेल छे, परंतुं मोटाभागना लोको त्यांथी चालीने जवुं पसंद करे छे अने राजपरा खोडियार मंदिर तरफ भावनगर थी चालीने जतां दरेक माइभकतो नानी खोडियार मंदिरे पण अचूक दर्शन करे छे.
आम राजपरा खोडियार मंदिर ए माताजीनुं प्रागटय स्थान समुं मोटुं तीर्थ छे, अने नानी खोडियार मंदिर ए माताजी जयां समाया ते स्थानक छे. आ स्थळ हरवा-फरवा, उजवणीना स्थळ तरीके जाणीतुं छे. अहीं आववा भावनगर थी दर रविवारे सिटी बसनी खास व्यवस्था आखो दिवस होय छे. खोडियार मंदिरनी बाजुमां ज तांतणीयो धरो नामनुं तळाव आवेलुं छे थोडे दुर आवेला राजपरा बंधनुं बांधकाम १९३०थी १९३प दरमियान रू. ३,३८,०४५ खर्चे भावनगरना राजवी परिवारे कराव्युं हतुं. खोडियार मंदिर नजीकनी डुंगरमाळामांथी उरच कक्षाना पथ्थरो मळी आवे छे. आ यात्राधामे दर भादरवी अमासे बहोळी संख्यामां राजय अने राजय बहारथी प्रवासीओ आवे छे. भावनगर (शहेर), सिहोर, वरतेज जेवां स्थळोएथी दर शनिवारनी मोडी रात्रे मोटी संख्यामां पगपाळा यात्रिकोनो बहोळो समुदाय खोडियार मंदिर भणी वहेतो होय छे. अहीं मंदिरथी हाईवे सुधी अनेक दुकानो आवेली छे. जे दुकानो अहींनां गामनां लोकोनुं आजीविकानुं एक साधन बनी रही छे. आ धार्मिक स्थळ रेलवे तथा एस.टी.नी सेवाथी जोडायेलुं छे.
“एक विचारवा जेवी वात”
“एक विचारवा जेवी वात”
आजकाल गुजरातमां एक वा फूकायो छे वाहन पर
“जयश्री खोडियार मा”
“जयश्री अंबामा”
“जयश्री आशापुरामा”
“जयश्री बहुचरमा”
आ जोइने देवी भकतो पर मान थाय ए साहजीक छे पण कोकना भेजानी उपजनी लीधे लोको गाडरिया प्रवाहमां तणाइने “जयश्री खोडियार मां” “जयश्री अंबामां”“जयश्री आशापुरामां” “जयश्री बहुचरमां”लखावता थया छे.वात एटलेथी ज नथी अटकती केटलाय साइन बोर्ड उपर,केटलाय जाहेर बेनर उपर,अरे! इवन माताजीना मंदिर उपर पर आवाज लखाण जोवा मळे छे एवा व्हाला देवी भकतोने एटलुं ज कहेवानुं के छेल्ले लखायला मा शब्द उपर अनुस्वार एटले के,मीडुं हिन्दीमां आवे गुजरातीमां नहीं.गुजरातीमां मा अने मां शब्दना अर्थ अलग थाय छे.आवुं लखावनार खाली गाडरिया प्रवाहमां तणाया छे.कोइकनुं लखावेलुं ते लखावेलनो अर्थ शुं थाय ए कदी विचार्या वगर पेलाए लखाव्युं तो ए बराबर हशे एम समजी आंधळुं अनुसरण करी लखावता थया छे.दाखला तरिके “जयश्री खोडियार मां”नो अर्थ थाय जयश्री खोडियार अंदर “जयश्री अंबामां”नो अर्थ थाय जयश्री अंबा अंदर,“जयश्री आशापुरामां”नो अर्थ थाय जयश्री आशापुरा अंदर “जयश्री बहुचरमां”नो अर्थ थाय जयश्री बहुचर अंदर आ बधी देवीओनी अंदर शुं? मा नो अर्थ “माता” थाय पण मां नो अर्थ “अंदर” थाय ए समजया वगर बस जाती वणजारमां जोडाइ गया ए नवाइनी वात छे.एक सीधो सादो दाखलो ए समजवा पुरतो छे.आपणे मा-बाप लखीए छीए मां-बाप नथी लखता तो आवी भुल शा माटे? अफसोसनी वात ए छे गुजराती भाषाना उत्कर्ष माटे मथता महानुभावो, गुजराती भाषा प्रेमीओ, गुजराती भाषाने विश्वमां फेलववा मांगता मांधाताओ अथवा गुजरातीना कहेवाता कोइ साहित्य कारे आ बाबत तरफ क्यारे लक्ष केन्द्रित नथी कर्युं नहींतर आ अनर्थनो क्यारनो अंत आवी गयो होत तमे शुं मानो छो अने आ भुल सुधार बाबत कशा नककर पगला भरवामां सहयोग आपशो?
आजकाल गुजरातमां एक वा फूकायो छे वाहन पर
“जयश्री अंबामा”
“जयश्री आशापुरामा”
“जयश्री बहुचरमा”
आ जोइने देवी भकतो पर मान थाय ए साहजीक छे पण कोकना भेजानी उपजनी लीधे लोको गाडरिया प्रवाहमां तणाइने “जयश्री खोडियार मां” “जयश्री अंबामां”“जयश्री आशापुरामां” “जयश्री बहुचरमां”लखावता थया छे.वात एटलेथी ज नथी अटकती केटलाय साइन बोर्ड उपर,केटलाय जाहेर बेनर उपर,अरे! इवन माताजीना मंदिर उपर पर आवाज लखाण जोवा मळे छे एवा व्हाला देवी भकतोने एटलुं ज कहेवानुं के छेल्ले लखायला मा शब्द उपर अनुस्वार एटले के,मीडुं हिन्दीमां आवे गुजरातीमां नहीं.गुजरातीमां मा अने मां शब्दना अर्थ अलग थाय छे.आवुं लखावनार खाली गाडरिया प्रवाहमां तणाया छे.कोइकनुं लखावेलुं ते लखावेलनो अर्थ शुं थाय ए कदी विचार्या वगर पेलाए लखाव्युं तो ए बराबर हशे एम समजी आंधळुं अनुसरण करी लखावता थया छे.दाखला तरिके “जयश्री खोडियार मां”नो अर्थ थाय जयश्री खोडियार अंदर “जयश्री अंबामां”नो अर्थ थाय जयश्री अंबा अंदर,“जयश्री आशापुरामां”नो अर्थ थाय जयश्री आशापुरा अंदर “जयश्री बहुचरमां”नो अर्थ थाय जयश्री बहुचर अंदर आ बधी देवीओनी अंदर शुं? मा नो अर्थ “माता” थाय पण मां नो अर्थ “अंदर” थाय ए समजया वगर बस जाती वणजारमां जोडाइ गया ए नवाइनी वात छे.एक सीधो सादो दाखलो ए समजवा पुरतो छे.आपणे मा-बाप लखीए छीए मां-बाप नथी लखता तो आवी भुल शा माटे? अफसोसनी वात ए छे गुजराती भाषाना उत्कर्ष माटे मथता महानुभावो, गुजराती भाषा प्रेमीओ, गुजराती भाषाने विश्वमां फेलववा मांगता मांधाताओ अथवा गुजरातीना कहेवाता कोइ साहित्य कारे आ बाबत तरफ क्यारे लक्ष केन्द्रित नथी कर्युं नहींतर आ अनर्थनो क्यारनो अंत आवी गयो होत तमे शुं मानो छो अने आ भुल सुधार बाबत कशा नककर पगला भरवामां सहयोग आपशो?
Tuesday, 25 April 2017
खोडियार मातानुं भावनगर प्रागट्य:
खोडियार मातानुं भावनगर प्रागट्य:
भावनगर जिल्लाना बोटाद तालुकाना रोहिशाळा गाममां मामळ नामनो एक चारण रहेतो हतो. जे मालधारीनो व्यवसाय करी गुजरान चलावतो हतो. आ चारणपुत्र पर माता सरस्वतीनी कृपा अपरंपार हती. एने जीभे सरस्वती होवाथी वल्लभीपुरना राजा शिलादित्यनो मानीतो हतो. तेने दरबारमां सौ कोइ मामळदेव तरीके ओळखता हता. तेमनां पत्नी देवळबा पण अत्यंत धार्मिक अने परगजु स्वभावनां हतां. घरे खूब ज लक्ष्मीनो वास हतो पण आ सुखी संसारमां शेरमाटीनी खोट हती. वल्लभीपुरना राजदरबारमां मामळदेवनी वधती जती लोकचाहनाथी अनेक इर्षाळुओने मामळदेव हवे आंखना कणानी जेम खूंचवा लाग्या. इर्षाळु लोकोए एकदिवस राजाना मनमां एवी वात ठसावी के मामळदेव नि:संतान छे. तेनुं मों जोवाथी अपशुनक थाय अने आपणुं राजपाठ एक दिवस चाल्युं जाय तो नवाइ नहीं. राजा शिलादित्य इर्षाळु लोकोनी वातमां आवी गया. एकवार राजाए मामळने कह्युं के भाइ मारे वांझियानुं मोढुं नथी जोवुं माटे तुं अहींयां आवीश नहीं. मामळ तो खूब ज दु:खी थयो. लोको पण मामळने वांझिया महेणुं मारवा लाग्या. मामळ दु:खी हृदये घरे आवीने सघळी वात पोतानी पत्नीने करे छे.
मामळने हवे जिंदगी झेर जेवी लागवा लागी. तेमणे भगवान शिवना शरणमां माथुं टेकव्युं अने निश्चय कर्यो के तेमनी अरज भगवान नहीं स्वीकारे तो पोतानुं मस्तक उतारीने कमळपूजा करशे. घणी ज आराधना करवा छतांय भगवान शिव प्रसन्न न थतां मामळे पोतानुं मस्तक तलवारथी उतारवा जता हता के त्यां ज भगवान शिव प्रसन्न थया अने कह्युं के: पाताळलोकना नागदेवतानी नागपुत्रीओ अने नागपुत्र तमारे त्यां सात पुत्रीओ अने एक पुत्र तरीके जन्म लेशे.
मामळदेव खुश थइने घरे गया अने पोतानी पत्नीने सघळी वात करी. तेमनी पत्नीए भगवान शिवना कहेवा प्रमाणे महा सुद आठमने रविवारना शुभदिने आठ खाली पारणां राख्यां. जेमां सात नागणीओ अने एक नाग आवी गयां अने बाळक स्वरूप धारण कर्युं. मामळदेवने त्यां अवतरेल कन्यानां नाम आवड, जोगड, तोगड, बीजबाइ, होलबाइ, सांसाइ अने सात बहेनोमां सौथी मोटी बहेन भवगती जगदंबा जानबाइ (खोडियार)अने भाइ मेरलदेवना जन्मना समाचार सांभळतां रोहिशाळा गाममां आनंद छवाइ गयो.
जानबाइ खोडियार नामे पूजायां: एकवार जानबाइना एकना एक भाइ मेरलदेवने खेतरमां झेरी सापे डंख मार्यो. झेर एवुं हतुं के ऊतरवानुं नाम ज नहोतुं लेतुं. सातेय बहेनोना जीव अध्धर थइ गया. मेरलदेवने झेर चडतुं जतुं हतुं. आवा समये बधा ज जुदा जुदा उपायने अजमावता हता. पण एक साधुए कह्युं के आ झेर पाताळमां नागलोक पासे रहेला अमृत जळथी ऊतरी शके, पण जो आ जळने सूर्यास्त पहेलां लाववामां आवे तो ज आ मेरलदेवनुं जीवन शक्य छे. बस आटलुं ज सांभळतां ज जानबाइ मेरलदेवनो जीव बचाववा माटे पाताळलोकमां जवा नीकळी गयां. ज्यारे जानबाइ पाताळलोकमांथी अमृत कळश लइने आवतां हतां त्यारे उतावळने लीधे तेमना पगमां ठेस वागी, कारण के सूर्यास्त पहेलां कळशनुं अमृत मेरलदेव सुधी पहोंचाडवानुं हतुं.
पगमां इजाने कारणे जानबाइ चाली शकतां न हतां तेथी तेमणे मगरनी मदद लीधी. ते मगर पर बेसीने मेरलदेव सुधी पहोंच्यां अने मेरलदेवनो जीव बचाव्यो त्यारे तो बधाना जीवमां जाणे जीव आव्यो अने जानबाइ पगमां ठेसने कारणे खोडातां चालतां हतां तेथी सौ बोल्या के खोडल आवी. बस, आ दिवसथी जानबाइ मा खोडियारना नामे ओळखावा लाग्यां. त्यारथी मगर जानबाइनुं वाहन बन्यो. मगरने सोनानी वाळी नाकमां पहेरावी आशीर्वाद आप्या अने मा खोडियारे कह्युं के आजथी तुं मारुं वाहन गणाइश.
रा’नवघणनो जीव बचाव्यो: राजा रा’नवघण ज्यारे तेमनी बहेनोने बचाववा माटे युद्ध माटे जता हता त्यारे खोडियारमाना मंदिरनी नजीक 200 मीटरनी ऊंचाइएथी तेमणे घोडाने कूदाव्यो हतो. छतां पण मा खोडियारनी कृपाथी रा’नवघणने कोइ प्रकारनी इजा नहोती थइ. रा’नवघणने मा खोडल पर अपार श्रद्धा हती. तेओ वारंवार तेमना रसाला साथे अथवा घोडा पर बेसीने पांच-सात गाउ दूर मातानां दर्शने जता. रा’नवघणना माता सोमलदेने खोडियार माता उपर खूब ज श्रद्धा हती अने तेमना आशीर्वादथी ज रा’नवघणनो जन्म थयो हतो.
खोडीयार जयंती ना शुभ अवसर निमिते आप सर्वे ने खुब खुब सुभेच्छा !! जय खोडियार मां जो आप मां खोडीयार ने मानता होय तो शेर अने लाईक करवानुं ना भूलशो...
भावनगर जिल्लाना बोटाद तालुकाना रोहिशाळा गाममां मामळ नामनो एक चारण रहेतो हतो. जे मालधारीनो व्यवसाय करी गुजरान चलावतो हतो. आ चारणपुत्र पर माता सरस्वतीनी कृपा अपरंपार हती. एने जीभे सरस्वती होवाथी वल्लभीपुरना राजा शिलादित्यनो मानीतो हतो. तेने दरबारमां सौ कोइ मामळदेव तरीके ओळखता हता. तेमनां पत्नी देवळबा पण अत्यंत धार्मिक अने परगजु स्वभावनां हतां. घरे खूब ज लक्ष्मीनो वास हतो पण आ सुखी संसारमां शेरमाटीनी खोट हती. वल्लभीपुरना राजदरबारमां मामळदेवनी वधती जती लोकचाहनाथी अनेक इर्षाळुओने मामळदेव हवे आंखना कणानी जेम खूंचवा लाग्या. इर्षाळु लोकोए एकदिवस राजाना मनमां एवी वात ठसावी के मामळदेव नि:संतान छे. तेनुं मों जोवाथी अपशुनक थाय अने आपणुं राजपाठ एक दिवस चाल्युं जाय तो नवाइ नहीं. राजा शिलादित्य इर्षाळु लोकोनी वातमां आवी गया. एकवार राजाए मामळने कह्युं के भाइ मारे वांझियानुं मोढुं नथी जोवुं माटे तुं अहींयां आवीश नहीं. मामळ तो खूब ज दु:खी थयो. लोको पण मामळने वांझिया महेणुं मारवा लाग्या. मामळ दु:खी हृदये घरे आवीने सघळी वात पोतानी पत्नीने करे छे.
मामळने हवे जिंदगी झेर जेवी लागवा लागी. तेमणे भगवान शिवना शरणमां माथुं टेकव्युं अने निश्चय कर्यो के तेमनी अरज भगवान नहीं स्वीकारे तो पोतानुं मस्तक उतारीने कमळपूजा करशे. घणी ज आराधना करवा छतांय भगवान शिव प्रसन्न न थतां मामळे पोतानुं मस्तक तलवारथी उतारवा जता हता के त्यां ज भगवान शिव प्रसन्न थया अने कह्युं के: पाताळलोकना नागदेवतानी नागपुत्रीओ अने नागपुत्र तमारे त्यां सात पुत्रीओ अने एक पुत्र तरीके जन्म लेशे.
मामळदेव खुश थइने घरे गया अने पोतानी पत्नीने सघळी वात करी. तेमनी पत्नीए भगवान शिवना कहेवा प्रमाणे महा सुद आठमने रविवारना शुभदिने आठ खाली पारणां राख्यां. जेमां सात नागणीओ अने एक नाग आवी गयां अने बाळक स्वरूप धारण कर्युं. मामळदेवने त्यां अवतरेल कन्यानां नाम आवड, जोगड, तोगड, बीजबाइ, होलबाइ, सांसाइ अने सात बहेनोमां सौथी मोटी बहेन भवगती जगदंबा जानबाइ (खोडियार)अने भाइ मेरलदेवना जन्मना समाचार सांभळतां रोहिशाळा गाममां आनंद छवाइ गयो.
जानबाइ खोडियार नामे पूजायां: एकवार जानबाइना एकना एक भाइ मेरलदेवने खेतरमां झेरी सापे डंख मार्यो. झेर एवुं हतुं के ऊतरवानुं नाम ज नहोतुं लेतुं. सातेय बहेनोना जीव अध्धर थइ गया. मेरलदेवने झेर चडतुं जतुं हतुं. आवा समये बधा ज जुदा जुदा उपायने अजमावता हता. पण एक साधुए कह्युं के आ झेर पाताळमां नागलोक पासे रहेला अमृत जळथी ऊतरी शके, पण जो आ जळने सूर्यास्त पहेलां लाववामां आवे तो ज आ मेरलदेवनुं जीवन शक्य छे. बस आटलुं ज सांभळतां ज जानबाइ मेरलदेवनो जीव बचाववा माटे पाताळलोकमां जवा नीकळी गयां. ज्यारे जानबाइ पाताळलोकमांथी अमृत कळश लइने आवतां हतां त्यारे उतावळने लीधे तेमना पगमां ठेस वागी, कारण के सूर्यास्त पहेलां कळशनुं अमृत मेरलदेव सुधी पहोंचाडवानुं हतुं.
पगमां इजाने कारणे जानबाइ चाली शकतां न हतां तेथी तेमणे मगरनी मदद लीधी. ते मगर पर बेसीने मेरलदेव सुधी पहोंच्यां अने मेरलदेवनो जीव बचाव्यो त्यारे तो बधाना जीवमां जाणे जीव आव्यो अने जानबाइ पगमां ठेसने कारणे खोडातां चालतां हतां तेथी सौ बोल्या के खोडल आवी. बस, आ दिवसथी जानबाइ मा खोडियारना नामे ओळखावा लाग्यां. त्यारथी मगर जानबाइनुं वाहन बन्यो. मगरने सोनानी वाळी नाकमां पहेरावी आशीर्वाद आप्या अने मा खोडियारे कह्युं के आजथी तुं मारुं वाहन गणाइश.
रा’नवघणनो जीव बचाव्यो: राजा रा’नवघण ज्यारे तेमनी बहेनोने बचाववा माटे युद्ध माटे जता हता त्यारे खोडियारमाना मंदिरनी नजीक 200 मीटरनी ऊंचाइएथी तेमणे घोडाने कूदाव्यो हतो. छतां पण मा खोडियारनी कृपाथी रा’नवघणने कोइ प्रकारनी इजा नहोती थइ. रा’नवघणने मा खोडल पर अपार श्रद्धा हती. तेओ वारंवार तेमना रसाला साथे अथवा घोडा पर बेसीने पांच-सात गाउ दूर मातानां दर्शने जता. रा’नवघणना माता सोमलदेने खोडियार माता उपर खूब ज श्रद्धा हती अने तेमना आशीर्वादथी ज रा’नवघणनो जन्म थयो हतो.
खोडीयार जयंती ना शुभ अवसर निमिते आप सर्वे ने खुब खुब सुभेच्छा !! जय खोडियार मां जो आप मां खोडीयार ने मानता होय तो शेर अने लाईक करवानुं ना भूलशो...
गुजराती निबंध - मातृप्रेम .. मा ते मा बीजा बधा वगडाना वा..जननी जोड सखी नही जडे रे लोल
ईश्वरे प्रेमनुं सर्जन कर्युं हशे त्यारे सौथी प्रथम माता बनाववानुं विचार्युं हशे ! अनन्वय अलंकारमां कहीए तो… वात्सल्यनी मूर्ति एटले मा, मा एटले वात्सल्यनी मूर्ति . एना जेवी व्यकित आ जगतमां कयांय मळे एम नथी ! मातानो जोटो जडवो. बाळकने जन्म आपनार अने एनुं लालनपालन करी जीवननुं सुयोग्य घडतर करनार मातानी मूल्यवान सेवानो बदलो कोनाथी वाळी शकाय एम छे ? बाळक उदरमां होय त्यारथी मांडीने ए मोटुं ने समजणुं थाय त्यां सुधीमां, अनेक कष्टो वेठनार अने पोताना शरीर-सुखना भोगे पोताना बाळकनी मावजत करनार माताने जो ईश्वरे पेदा ज ना करी होय तो आपणुं शुं थात ? कोणे लालन पालन कर्यु होत, कोणे आपणने संस्कार आप्या होत. कोणे आटलो प्रेम लूटाव्यो होत.. मातानु महत्व तो तमे एकवार जईने अनाथाश्रममां रहेता बाळकोने जोईने के तेमनी साथे वातचीत करीने जोशो तो समजाशे. मुशकेल छे. खुद ईश्वर पण एनी जोडे बेसी शके तेवो नथी ! साचे ज, जगतमां सौ सगा स्नेहीजनो वच्चे मातानी त्यागनीमूर्ति, बलिदाननीमूर्ति,सौजन्यनीमूर्ति अने प्रेम/त्यागनीमूर्ति पूनमना चांद जेवी झळहळे छे. ? जगतमां सर्वप्रथम अने बाळकना मुखमांथी निकळतो प्रथम जो शब्द होय तो ते ‘मा’ ‘मम्मा’छे.
कविओए मातृप्रेमनो महिमा मुकतकंठे गायो अने बिरदाव्यो छे. कवि बोटादकरे पोतानी कवितामां कह्युं छे के, “जननीनी जोड सखी नहि जडे रे लोल ! माता ए माता ज छे. पचेहे ए आठ बाळकोनी माता होय के एकना एक संताननी ! माताने मन एनु प्रत्येक बाळक काळजानो कटको छे. माता गरीब घरनी होय के श्रीमंत घरनी.. एना वात्य्सलयनु झरणुं तो अखूटपणे वह्या ज करे छे. वळी बाळक ह्रष्टपुष्ट अने देखावडु ज होय ए काई जरूरी नथी. माताने मन तो एनु लुलु लंगडु के बहेरु बोबडु बाळक अप्ज गुलाबना खीलेला गोटा जेवु ज होय छे. माताने घडीने ईश्वरे हाथ धोई नाख्या छे एम कहीए तो जराय खोटु नथी.
बाळक मांदु पडे. निशाळेथी आवता थोडु मोडु थाय के कोई चीज मेळववा माटे धमपछाडा करे त्यारे माता लाख काम पडता मुकीने केवी बेबाकळी अने चिंतातुर बनी जती होय छे ! बाळकना सुखे सुखी अने बाळकना दुखे दु:खी थनारी, रात दिवस तेना हितनी प्रार्थना करनारी माता जेवी त्यागमूर्ति जगतमां बीजी कोई छे खरी ? जीवन नैयानु सुकान माता छे. मा विनाना बालकोनी स्थिति अत्यंत दयाजनक अने अश्य होय छे. रेटियो कातती मा घोडे चडता बाप करता हजार दरज्जे सारी छे. जीवननु सबरस मा छे. एनो त्याग एनु वात्सल्य एनु माघुर्य ए तो संतानना जीवननी अणमोल अद्वितीय मुडी छे.
आखा जगतनो आधार मातानी आगळी छे .एनी आंगळीमां अभय छे. सामे वाघ आवीने ऊभो होय पण दीकराए जो मानी आंगळी झाली हशे तो एने बीक नही लागे ! एनी आंगळी निर्भय छे. ‘मा’ शब्द ज ममताथी भरेलो छे. पशु होय के पक्षी होय मातानो प्रेम एना पोतानां बच्चां माटे अपार हशे, गाय पोताना वाछरडांने, कूतरी पोतानां गलूडियांने. चकली पोतानां बच्चांने,वादरी पोतानां बच्चाने प्रेमस्नेह करतां थाकती नथी. केवां साचवे छे,चाटे छे अने खवडावे छे. अबोला प्राणीमां जो आटली माया ने लागणी होय तो मानव-मातानी तो वाता ज शी करवी ?
जगतमां दरेक महान पुरुषोना जीवन घडतरमां तेमनी मातानो फाळो अनन्य अने अनमोल रह्यो छे. ते बाळकनी प्रेरणादात्रीनी छे. नेपोलियन जेवाने कहेवुं पडेलुं के, “ एकमाता ए सौ शिक्षकनी गरज सारे छे.” माता संतानना चारित्र्यनुं घडतर करे छे,ते थकी समाजनुं अने राष्ट्रनुं घडतर थाय छे. आ “मा ”बनवु पण सहेलु नथी कारणके नव मासना गर्भधान पछी आकरी प्रसूतिनी पीडा अने शिशुपालननी अढळक जवाबदारी ए अनेक बलिदान मांगी ले छे. अने आ बधु एक संपूर्ण निस्वार्थ भावनाथी मात्र पोताना देवना दीधेला माटे.....!!आटलु जतन करीने वखत आवे तो पेटे पाटा बांधीने पुत्रनु जतन करनार माताने घडपणमां जो पुत्र तरफथी प्रेमने बदले तिरस्कार, सहाराने बदले अपमान मळे अने मददने बदले कुवचनो सांभळवा मळे तो ए पुत्रने पुत्र कहेवो के पत्थर ? आटलु थवा छता माता कायम पोताना दीकराने आशीर्वाद ज आपती रहे छे. तेथी ज तो कहेवाय छे के "छोरुं कछोरुं थाय पण माता कुमाता न थाय.
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