“एक विचारवा जेवी वात”
आजकाल गुजरातमां एक वा फूकायो छे वाहन पर
“जयश्री खोडियार मा”
“जयश्री अंबामा”
“जयश्री आशापुरामा”
“जयश्री बहुचरमा”
आ जोइने देवी भकतो पर मान थाय ए साहजीक छे पण कोकना भेजानी उपजनी लीधे लोको गाडरिया प्रवाहमां तणाइने “जयश्री खोडियार मां” “जयश्री अंबामां”“जयश्री आशापुरामां” “जयश्री बहुचरमां”लखावता थया छे.वात एटलेथी ज नथी अटकती केटलाय साइन बोर्ड उपर,केटलाय जाहेर बेनर उपर,अरे! इवन माताजीना मंदिर उपर पर आवाज लखाण जोवा मळे छे एवा व्हाला देवी भकतोने एटलुं ज कहेवानुं के छेल्ले लखायला मा शब्द उपर अनुस्वार एटले के,मीडुं हिन्दीमां आवे गुजरातीमां नहीं.गुजरातीमां मा अने मां शब्दना अर्थ अलग थाय छे.आवुं लखावनार खाली गाडरिया प्रवाहमां तणाया छे.कोइकनुं लखावेलुं ते लखावेलनो अर्थ शुं थाय ए कदी विचार्या वगर पेलाए लखाव्युं तो ए बराबर हशे एम समजी आंधळुं अनुसरण करी लखावता थया छे.दाखला तरिके “जयश्री खोडियार मां”नो अर्थ थाय जयश्री खोडियार अंदर “जयश्री अंबामां”नो अर्थ थाय जयश्री अंबा अंदर,“जयश्री आशापुरामां”नो अर्थ थाय जयश्री आशापुरा अंदर “जयश्री बहुचरमां”नो अर्थ थाय जयश्री बहुचर अंदर आ बधी देवीओनी अंदर शुं? मा नो अर्थ “माता” थाय पण मां नो अर्थ “अंदर” थाय ए समजया वगर बस जाती वणजारमां जोडाइ गया ए नवाइनी वात छे.एक सीधो सादो दाखलो ए समजवा पुरतो छे.आपणे मा-बाप लखीए छीए मां-बाप नथी लखता तो आवी भुल शा माटे? अफसोसनी वात ए छे गुजराती भाषाना उत्कर्ष माटे मथता महानुभावो, गुजराती भाषा प्रेमीओ, गुजराती भाषाने विश्वमां फेलववा मांगता मांधाताओ अथवा गुजरातीना कहेवाता कोइ साहित्य कारे आ बाबत तरफ क्यारे लक्ष केन्द्रित नथी कर्युं नहींतर आ अनर्थनो क्यारनो अंत आवी गयो होत तमे शुं मानो छो अने आ भुल सुधार बाबत कशा नककर पगला भरवामां सहयोग आपशो?
आजकाल गुजरातमां एक वा फूकायो छे वाहन पर
“जयश्री अंबामा”
“जयश्री आशापुरामा”
“जयश्री बहुचरमा”
आ जोइने देवी भकतो पर मान थाय ए साहजीक छे पण कोकना भेजानी उपजनी लीधे लोको गाडरिया प्रवाहमां तणाइने “जयश्री खोडियार मां” “जयश्री अंबामां”“जयश्री आशापुरामां” “जयश्री बहुचरमां”लखावता थया छे.वात एटलेथी ज नथी अटकती केटलाय साइन बोर्ड उपर,केटलाय जाहेर बेनर उपर,अरे! इवन माताजीना मंदिर उपर पर आवाज लखाण जोवा मळे छे एवा व्हाला देवी भकतोने एटलुं ज कहेवानुं के छेल्ले लखायला मा शब्द उपर अनुस्वार एटले के,मीडुं हिन्दीमां आवे गुजरातीमां नहीं.गुजरातीमां मा अने मां शब्दना अर्थ अलग थाय छे.आवुं लखावनार खाली गाडरिया प्रवाहमां तणाया छे.कोइकनुं लखावेलुं ते लखावेलनो अर्थ शुं थाय ए कदी विचार्या वगर पेलाए लखाव्युं तो ए बराबर हशे एम समजी आंधळुं अनुसरण करी लखावता थया छे.दाखला तरिके “जयश्री खोडियार मां”नो अर्थ थाय जयश्री खोडियार अंदर “जयश्री अंबामां”नो अर्थ थाय जयश्री अंबा अंदर,“जयश्री आशापुरामां”नो अर्थ थाय जयश्री आशापुरा अंदर “जयश्री बहुचरमां”नो अर्थ थाय जयश्री बहुचर अंदर आ बधी देवीओनी अंदर शुं? मा नो अर्थ “माता” थाय पण मां नो अर्थ “अंदर” थाय ए समजया वगर बस जाती वणजारमां जोडाइ गया ए नवाइनी वात छे.एक सीधो सादो दाखलो ए समजवा पुरतो छे.आपणे मा-बाप लखीए छीए मां-बाप नथी लखता तो आवी भुल शा माटे? अफसोसनी वात ए छे गुजराती भाषाना उत्कर्ष माटे मथता महानुभावो, गुजराती भाषा प्रेमीओ, गुजराती भाषाने विश्वमां फेलववा मांगता मांधाताओ अथवा गुजरातीना कहेवाता कोइ साहित्य कारे आ बाबत तरफ क्यारे लक्ष केन्द्रित नथी कर्युं नहींतर आ अनर्थनो क्यारनो अंत आवी गयो होत तमे शुं मानो छो अने आ भुल सुधार बाबत कशा नककर पगला भरवामां सहयोग आपशो?
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